श्री बाँकेबिहारी चालीसा
दोहा—-बांकी चितवन कटि लचक, बांके चरन रसाल । स्वामी श्री हरिदास के बांके बिहारी लाल ।।।। चौपाई ।।जै जै जै
दोहा—-बांकी चितवन कटि लचक, बांके चरन रसाल । स्वामी श्री हरिदास के बांके बिहारी लाल ।।।। चौपाई ।।जै जै जै
नमो जय जय श्री कमलवासिनीआद्यामहालक्ष्मी करूँ माता तव ध्यान |सिद्ध काज मम किजियेनिज शिशु सेवक जान ||चौपाई ———श्री मह लक्ष्मी
॥ दोहा ॥ बंशी शोभित कर मधुर,नील जलद तन श्याम। अरुण अधर जनु बिम्बा फल,पिताम्बर शुभ साज॥ जय मनमोहन मदन
श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥निशि दिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय । कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥ ।।चौपाई।। नमो विष्णु भगवान खरारी,कष्ट
नमो नमो दुर्गे सुख करनी नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥ शशि ललाट
जयश्रीराम श्री गुरु चरण सरोजनिज मन मुकुरू सुधारिबरनाऊ रघुवर बिमल यशजो दायक फल चारिबुद्धिहीन तनु जानिकेसुमिरो पवन कुमारबल बुद्धि विद्या
नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदंबे संत जनों के काज में, करती नहीं विलंब॥ जय जय जय विन्ध्याचल रानी। आदि