
रमा एकादशी की व्रत कथा—
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह अत्यंत

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह अत्यंत

दिवाली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती

कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इसे अहोई आठे के नाम से

रखना सुहागन मेरे बांके बिहारी ।चरणों में तेरे ये है अरजी हमारी ।। बिंदिया सिंदूर मेरा चमके हमेशा ।हाथों का

एक बार अर्जुन नीलगिरि पर तपस्या करने गए। द्रौपदी ने सोचा कि यहाँ हर समय अनेक प्रकार की विघ्न-बाधाएं आती

किसी गाँव में एक बुढ़िया रहती थी और वह कार्तिक का व्रत रखा करती थी. उसके व्रत खोलने के समय

एक इल्ली और घुण था | इल्ली बोली आओ घुण कार्तिक स्नान करे घुण बोला तू ही कार्तिक स्नान कर

महारास-महामिलन है आत्मा और परमात्मा का इस महामिलन में न तो काम है, न गोपियों में परस्वार्थ ईर्ष्या है, न

कार्तिक मास सोमवार-10 अक्टूबर से मंगलवार- 8 नवंबर तक है । कार्तिक में दीपदान :दीपदान अर्थात दीये जलाना कार्तिक मास

. रासलीला का आरम्भ शरद् ऋतु थी। उसके कारण बेला, चमेली आदि सुगन्धित पुष्प खिलकर महक रहे थे। भगवान ने