शास्त्रानुसार दीपक जलाएं
दीपक जलाकर अपने हाथ अवश्य धोएं। बिना हाथ धोए अन्य कर्म निषिद्ध हैं। इससे पाप लगता है — दीपं स्पृष्ट्वा
दीपक जलाकर अपने हाथ अवश्य धोएं। बिना हाथ धोए अन्य कर्म निषिद्ध हैं। इससे पाप लगता है — दीपं स्पृष्ट्वा
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की अलग-अलग महिमा है। शास्त्रों में चातुर्मास में आने वाले कार्तिक मास को धर्म,
कलियुग में सबसे ज्यादा माँ लक्ष्मी जी की पूजा होती है, मां लक्ष्मी जी की कृपा जिन घरों में रहती
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास सोलवा अध्याय लिखे यह दास राजा पृथु ने कहा:- हे नारद जी ! यह
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास अठारवा अध्याय लिखे यह दास अब रौद्र रूप महाप्रभु शंकर नन्दी पर चढ़कर युद्धभूमि
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास *राजा पृथु ने नारद जी से पूछा :–* हे देवर्षि! कृपया आप अब मुझे
. तब उसको इस प्रकार धर्मपूर्वक राज्य करते हुए देख देवता क्षुब्ध हो गये। उन्होंणे देवाधिदेव शंकर का
दोनो ओर से गदाओं, बाणों और शूलों आदि का भीषण प्रहार हुआ। दैत्यों के तीक्ष्ण प्रहारों से व्याकुल
एक बार राधा जी सखी से बोलीं–‘सखी ! तुम श्री कृष्ण की प्रसन्नता के लिए किसी देवता की ऐसी पूजा
सुख भोगे जो कथा, सुने सहित विश्वास। बारहवाँ अध्याय लिखे, ‘कमल’ यह दास।। नारद जी ने कहा – तब इन्द्रादिक