कार्तिक माहात्म्य अध्याय – 10
राजा पृथु बोले – हे ऋषिश्रेष्ठ नारद जी! आपको प्रणाम है। कृपया अब यह बताने की कृपा कीजिए कि
राजा पृथु बोले – हे ऋषिश्रेष्ठ नारद जी! आपको प्रणाम है। कृपया अब यह बताने की कृपा कीजिए कि
जिसको जप कर जीव, हो भवसागर से पार। *ग्यारहवें अध्याय का, ‘कमल’ करे विस्तार।। एक बार सागर पुत्र जलन्धर अपनी
जो पढ़े सुनेगा इसे, वह होगा भव से पार। श्री हरि कृपा से लिख रहा, नवम अध्याय का सार।। राजा
गोवर्धन धराधर गोकुल त्राणकारक।विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।। इस पूजा को करने वाले व्यक्ति का सीधा प्रकृति से सामंजस्य बनाता
पौराणिक महत्व शास्त्रों के अनुसार भाई को यम द्वितीया भी कहते हैं इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर उन्हें
गोवर्धन पूजा , जब एक नन्हे से बालक द्वारा सनातन धर्म की आधारभूत सर्वदेवमयी गौमाता की रक्षार्थ देवराज इंद्र जैसे
धन-धन रसिकन-धन गोवर्धन, जाने ब्रह्म लियो बिरमाय।जेहि आश्रित असंख्य विधि, हरि, हर।सोऊ आश्रय लिय येहि गिरिवर।जेहि पूजति जलजा नित निज
स्नेह बंधनजय श्री राधेकृष्णगोवर्धन पूजा की आपको व आपके परिवार को मेरी व मेरे परिवार की बहुत बहुत मंगलमयी शुभकामनाएं
हमारो कान्हा गोवर्धन गिरधारी .सभी देशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं तथा प्यार भरी राधे राधे जी…हिंदू धर्म में
गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा के अनुसार द्वापर युग में एक बार देवराज इंद्र को अपने ऊपर अभिमान हो गया