
कार्तिक माह माहात्म्य अध्याय – 22
सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास *राजा पृथु ने नारद जी से पूछा :–* हे देवर्षि! कृपया आप अब मुझे

सुख भोगे जो कथा सुने विश्वास *राजा पृथु ने नारद जी से पूछा :–* हे देवर्षि! कृपया आप अब मुझे

. तब उसको इस प्रकार धर्मपूर्वक राज्य करते हुए देख देवता क्षुब्ध हो गये। उन्होंणे देवाधिदेव शंकर का

दोनो ओर से गदाओं, बाणों और शूलों आदि का भीषण प्रहार हुआ। दैत्यों के तीक्ष्ण प्रहारों से व्याकुल

एक बार राधा जी सखी से बोलीं–‘सखी ! तुम श्री कृष्ण की प्रसन्नता के लिए किसी देवता की ऐसी पूजा

सुख भोगे जो कथा, सुने सहित विश्वास। बारहवाँ अध्याय लिखे, ‘कमल’ यह दास।। नारद जी ने कहा – तब इन्द्रादिक

राजा पृथु बोले – हे ऋषिश्रेष्ठ नारद जी! आपको प्रणाम है। कृपया अब यह बताने की कृपा कीजिए कि

जिसको जप कर जीव, हो भवसागर से पार। *ग्यारहवें अध्याय का, ‘कमल’ करे विस्तार।। एक बार सागर पुत्र जलन्धर अपनी

जो पढ़े सुनेगा इसे, वह होगा भव से पार। श्री हरि कृपा से लिख रहा, नवम अध्याय का सार।। राजा

गोवर्धन धराधर गोकुल त्राणकारक।विष्णुबाहु कृतोच्छ्राय गवां कोटिप्रभो भव।। इस पूजा को करने वाले व्यक्ति का सीधा प्रकृति से सामंजस्य बनाता

पौराणिक महत्व शास्त्रों के अनुसार भाई को यम द्वितीया भी कहते हैं इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर उन्हें