
झूलो की रुत है आई, ओ श्री राधा प्यारी…
एक बार की बात है कि, सावन के इसी पुनीत महीने में प्रिया राधा जी, प्रिय श्यामसुन्दर से रूठ जाती
एक बार की बात है कि, सावन के इसी पुनीत महीने में प्रिया राधा जी, प्रिय श्यामसुन्दर से रूठ जाती
सखी! दोउ, झूलत मृदु मुसकात।ज्योँ सखि! गगन मगन मन घनगन, घनन – घनन घननात।त्योँ सखि! इत घनश्याम मगन मन, झूलत
विशेष – 12 अगस्त, शनिवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे। अर्जुन बोले : हे जनार्दन ! आप अधिक (लौंद/मल/पुरुषोत्तम)
माता पार्वती शिवजी की केवल अर्धांगिनी ही नहीं शिष्या भी बनीं। शिवजी से अनेक विषयों पर चर्चा करतीं।एक दिन पार्वतीजी
सतावे सावन की फुहार।रिमझिम-रिमझिम मेघ बरस रहे, राधा करें विचार। नीम के पेड़ पर झूला पड़ गया, झूल रही हैं
सावन के गीत सावन की घटा निरखि निरखिमन बन जाए वन की मोरनीयां।झूम झूम कर नाचुं आज सखीछम छम बाजे
सोनी सुघर बुलाय नगर के,रतन अमोल जडावों…ll गहरे रंग चुनरी सारी,छिपन पे जु रंगावों…l कन्या गोप जिति मों साथिन,सादर सब
उत्तर भारत की विवाहित महिलाएं सावन महीने में मनाती हैं। खासकर बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा में
आया सावन मतवालासभी झूम रहे सावन में,और गीत गा रहे सावन के पार्वती संग भोला, नाच रहे कैलाश में,डम-डम बाजे
संपूर्ण धरती पर शिव का ही धर्म प्रचलित है :-आदिदेव शिव और गुरु दत्तात्रेय को धर्म और योग का जनक