
कर्म उत्सव है
भक्ति करते हुए भक्त कर्म को उत्सव की भांति देखता भक्त देखता है कर्म करते हुए जितने शुद्ध भाव प्रभु

भक्ति करते हुए भक्त कर्म को उत्सव की भांति देखता भक्त देखता है कर्म करते हुए जितने शुद्ध भाव प्रभु

फुलो की महक सांसो में समा जाए मन भरा हुआ ही हंसता है खाली मन हंसा नहीं करता है ।

मनुष्य शरीर कर्म करने के लिए बना है। कर्म करना और फल की इच्छा न करना हीनिष्काम कर्म-योग यानि भक्ति-योग

मनुष्य शरीर कर्म करने के लिए बना है। कर्म की हम कितनी बाते करे कर्म को शुद्ध रूप से किये

जय श्री राधे कृष्ण“लोग आपसे नहीं, आपकी स्थिति से हाथ मिलाते हैं” — यह कथन जीवन की सबसे कड़वी सच्चाइयों

मैं जितने साल जी चुका हूँ, उससे अब कम साल मुझे जीना है। यह समझ आने के बाद मुझमें यह
प्रकृति मनुष्य को हर क्षण उपदेश देकर यह बताती है कि परोपकार से बढ़कर कोई दूसरा धर्म नहीं है। मनुष्य

एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा की.. प्रभु मैंने पृथ्वी पर देखा है कि जो व्यक्ति पहले

केवल मानव जन्म मिल जाना ही पर्याप्त नहीं है अपितु हमें जीवन जीने की कला आनी भी आवश्यक है। पशु-

पितृ पक्ष का प्रारंभ इस वर्ष २९ सितंबर दिन शुक्रवार भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से हो रहा है, जो १४ अक्टूबर