परोपकार मानव को महामानव बनाता है
प्रकृति मनुष्य को हर क्षण उपदेश देकर यह बताती है कि परोपकार से बढ़कर कोई दूसरा धर्म नहीं है। मनुष्य
प्रकृति मनुष्य को हर क्षण उपदेश देकर यह बताती है कि परोपकार से बढ़कर कोई दूसरा धर्म नहीं है। मनुष्य
एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा की.. प्रभु मैंने पृथ्वी पर देखा है कि जो व्यक्ति पहले
केवल मानव जन्म मिल जाना ही पर्याप्त नहीं है अपितु हमें जीवन जीने की कला आनी भी आवश्यक है। पशु-
पितृ पक्ष का प्रारंभ इस वर्ष २९ सितंबर दिन शुक्रवार भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से हो रहा है, जो १४ अक्टूबर
“ बेटा सुन आज आते वक्त मेरा एक काम कर देगा?” दमयंती जी ने सोमेश से पूछा“ हाँ माँ बोलो
सबको लगता है हमे सफलता पहली बार में ही मिल जाए, लेकिन सफलता तो बार बार असफल होने के बाद
प्रिय शंकर ने एक और प्रश्न पूछा कि तृष्णा के बाद यह ‘उपादान’ और यह ‘भव’ क्या होता है?आज की
इसे समझ लो,जो पुरुष कर्म में अकर्म देखे, कर्म माने आराधना अर्थात् आराधना करे और यह भी समझे कि करनेवाला
कर्मयोगी बनो मगर कर्मफल के प्रति आसक्त भाव का सदैव त्याग करो, ये भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की महत्वपूर्ण और
स्वयं द्वारा स्वयं के विरुद्ध छेड़ा जाने वाला संग्राम ही संयम कहलाता है। संयम अर्थात एक युद्ध स्वयं के विरुद्ध।