कुंती पुत्र कर्ण
कर्ण को कुंती ने बचपन में ही नदी में बहा दिया था तब तो उसका नामकरण भी नहीं हुआ होगा
कर्ण को कुंती ने बचपन में ही नदी में बहा दिया था तब तो उसका नामकरण भी नहीं हुआ होगा
एक बार देवर्षि नारद भगवान विष्णु के पास गये और प्रणाम करते हुए बोले, ‘हे लक्ष्मीपते, हे कमलनयन ! कृपा
समर्थ गुरू राम दास जी संगत के समक्ष राम कथा कर रहे थे और हनुमान जी वेष बदल कर रोज
किसी नगर में एक अमीर इंसान रहता था। उसके पास बहुत सारी संपत्ति, बहुत बड़ी हवेली और नौकर-चाकर थे। फिर
एक पुजारी थे. ईश्वर की भक्ति में लीन रहते. सबसे मीठा बोलते. सबका खूब सम्मान करते. जो जैसा देता है
महाभारत की कथा में कुंती का जीवन अद्भुत घटनाओं और संघर्षों से भरा हुआ है। उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण
कुछ महीने लंदन में अपनी बेटी के साथ रहने के बाद राधेश्याम ने सोच लिया कि अब वापिस अपने देश
“ऐ रामकुमार, आवाज़ दो अपने लड़के को.. और कह दो सात-आठ मीटर गेंदे की लड़ियां और लेकर आए, दरवाज़ा बड़ा
“बेटा! थोड़ा खाना खाकर जा ..!! दो दिन से तुने कुछ खाया नहीं है।” लाचार माता के शब्द है अपने
(1) अल्बर्ट आइंस्टीन की पत्नी अक्सर उन्हें सलाह देती थीं कि वह काम पर जाते समय अधिक प्रोफेशनल तरीके से