
माता दुर्गा के परम भक्त
वाराणसी के एक साधक थे सुदर्शन जी ब्रह्ममुहूर्त का समय था । वे गंगा जी में कमर तक डूबे जप
वाराणसी के एक साधक थे सुदर्शन जी ब्रह्ममुहूर्त का समय था । वे गंगा जी में कमर तक डूबे जप
एक महान विद्वान से मिलने के लिये एक दिन रोशनपुर के राजा आये। राजा ने विद्वान से पुछा, ‘क्या इस
अति प्राचीन काल की बात है। द्रविड़ देश में एक पाण्ड्यवंशी राजा राज्य करते थे। उनका नाम था इंद्रद्युम्न। वे
गीता में लिखा है-भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, “मैं समय हूँ, कालोस्मि” अर्थात् यदि आप समय का सही उपयोग नहीं
बरसाने में आज श्री राधिका जी के मुखमंडल पर कुछ उदासी सी छायी देखकर वृषभानु बाबा अति लाड से पूछ
अति प्राचीन काल की बात है। द्रविड़ देश में एक पाण्ड्यवंशी राजा राज्य करते थे। उनका नाम था
हनुमान जी जब पर्वत लेकर लौटते है तो भगवान से कहते है.प्रभु आपने मुझे संजीवनी बूटी लेने नहीं भेजा था।आपने
एक संत को अपना भव्य आश्रम बनाने के लिए धन की जरूरत पड़ी। वह अपने शिष्य को साथ लेकर धन
गोपियों का प्रेम द्वारका में जब भी गोपियों की बात चलती तो श्रीकृष्ण को रोमांच हो आता। आँसू बहने लगते,
एक बार अर्जुन को अहंकार हो गया कि वही भगवान के सबसे बड़े भक्त हैं। उनकी इस भावना को भगवान