प्राण जीवन शक्ति
प्राण का शाब्दिक अर्थ है “जीवन शक्ति। ” यह वह ऊर्जा है जिसकी हमें सांस लेने, बात करने, चलने, सोचने,
प्राण का शाब्दिक अर्थ है “जीवन शक्ति। ” यह वह ऊर्जा है जिसकी हमें सांस लेने, बात करने, चलने, सोचने,
“पुनः महाभाव के सागर में लहर उठी। ये लहर सब कुछ बहा ले गयी, सब कुछ, अब कुछ पता नही
चातुर्मास में वर्ष के चार महीने आते हैं- सावन, भादों, क्वार, कार्तिक। (श्रावण, भाद्र, अश्विन, कार्तिक-मास) चातुर्मास से जुड़ी पौराणिक
सुनती हूं वृंदावन की याद सबको आ रही लेकिन क्या वास्तव में आ रही है वृन्दावन की महिमा तभी है
एक बहुत ही मशहूर महात्मा थे। उनके पास रोज ही बड़ी संख्या में लोग उनसे मिलने आते थे। एक बार
बोधकथा एकादशी की रात्रि में श्रीनामदेवजी के घर अखण्ड कीर्तन होता था । भगवान सूर्य के अस्ताचलगामी होते ही जनाबाई
भक्त तुलसीदास जी का अध्ययन काफी गंभीर एवं व्यापक था। अपने ग्रंथ श्री रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने भगवत् गीता
पंडित श्री जगन्नाथ प्रसाद जी ‘भक्तमाली’ के भक्तिभाव के कारण वृंदावन के सभी संत उनसे बहुत प्रभावित थे और उनके
बात तबकी है, जब प्रथम जैन तीर्थंकर श्रीआदिनाथ पृथ्वीपर राज करते थे। राज करते-करते दीर्घकाल व्यतीत हो गया, तब देवलोकमें
केतकी का पति और केतकी ठाकुर जी और किशोरी जी को बहुत मानते थे.. और उनकी कृपा से उनके घर