
एक सच्ची घटना वृंदावन धाम से
एक संत महाराज एक बार वृन्दावन गएवहाँ कुछ दिन घूमे फिरे दर्शन किए..जब वापस लौटने का मन किया तो सोचा

एक संत महाराज एक बार वृन्दावन गएवहाँ कुछ दिन घूमे फिरे दर्शन किए..जब वापस लौटने का मन किया तो सोचा

.एक बार श्री हरि ( विष्णु ) के मन में एक घोर तपस्या करने की इच्छा जाग्रत हुई। वे उचित

इकदिन वृंदावन वास ते,मिल्यौ वैकुन्ठ धाम ।बिन माला जहाँ हरि मिले,एैसो वृंदावन धाम ।। प्रेम को साकार विग्रह,श्रीप्रिया जू और

एक बार एक बंगाली व्यक्ति घर से परेशान हो गया,.उन्होंने सोचा कि लोग कहते है, कि कृष्ण भगवान् की भक्ति

“*इतना शौक मत रखो,वृन्दावन की गलियों में जाने का सही में रास्ता नहीं है,वापस आने का भगवान श्रीकृष्ण का,निजधाम ‘श्रीवृन्दावन-

वृन्दावन धाम का आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्व ब्रज चौरासी कोस में, चारगाम निजधाम।वृन्दावन अरू मधुपुरी, बरसानो नन्दगाम॥ श्रीवृन्दावन, मथुरा और

बहुत सारे लोग हैं जो वृन्दावन में होते हुए भी वृन्दावन में नहीं होते और बहुत सारे लोग हैं जो

जिनमें से पाँच प्रयाग तो गढ़वाल, उत्तराखण्ड में ही हैं ! प्रयाग जब यह शब्द किसी आम व्यक्ति के