
चैतन्य महाप्रभु की वृंदावन यात्रा
विशेष ——–वेद – पुराणों से जुडा़ है आयुर्वेद, हमारी सांस्कृतिक धरोहर है दोनों । इनको संजोकर रखना है।” देशी खाओं

विशेष ——–वेद – पुराणों से जुडा़ है आयुर्वेद, हमारी सांस्कृतिक धरोहर है दोनों । इनको संजोकर रखना है।” देशी खाओं

मन की अप्रसन्नता में चेहरे का सौंदर्य कोई मायने नहीं रखता है। जीवन वही सुंदर है जिसमें चेहरे पर खूबसूरती

चैतन्य महाप्रभु को किसी ने पूछाः “हरि का नाम एक बार लेने से क्या लाभ होता है ?” “एक बार

गहरे पानी में डूबा हुआ व्यक्ति बोलने में सक्षम हो सकता है, लेकिन पूरी तरह से डूबा हुआ व्यक्ति नहीं।

परमात्मा सब जानता है… तन की जाने, मन की जानेजाने चित, की चोरी !उस प्रभु से, क्या छुपावे… रे..नर, मुर्ख

ज्ञान सच्चे ज्ञान का अर्थ है कि हमें यह जानना है कि मैं भगवान कृष्ण का शाश्वत अंश हूं और

एक दिन कॉलेज में प्रोफेसर ने विद्यर्थियों से पूछा, कि इस संसार में जो कुछ भी है उसे भगवान ने

हरि ॐ तत् सत् जय सच्चिदानंद मन हमेशा आत्मा से खुराक़ लेता हैये मन आत्मा की पावर से इतना बलवान

मैंने ईश्वर से कहा -“मेरी सारी बुराइयाँ दूर कर दो !”ईश्वर ने कहा -“नहीं !वह इसलिये वहाँ नहीं हैं कि

हे दयामय दीन पालक अज विमल निष्काम हो।जगतपति जग व्याप्त जगदाधार जग विश्राम हो।। दिवस-निशि जिसकी प्रबल भय रोग कि