
महाराज रघु की मंत्र-शक्ति
अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट रघु ने ही ‘रघुकुल’ या ‘रघुवंश’ की नींव रखी थी। रघुकुल अपने सत्य, तप, मर्यादा, वचन
अयोध्या के चक्रवर्ती सम्राट रघु ने ही ‘रघुकुल’ या ‘रघुवंश’ की नींव रखी थी। रघुकुल अपने सत्य, तप, मर्यादा, वचन
एक भक्त भगवान से अन्तर्मन से प्रार्थना करते हुए कहता है कि हे परमात्मा मेरे सब कुछ आप ही है आप
जय श्री राधे कृष्णप्रार्थना व शुद्ध क्षण है जब आपका और ईश्वर का मिलन होता है, वहां छोटी-छोटी मांगे बीच
प्रार्थना ईश्वर के प्रति अंतर आत्मा से निकली हुई पुकार है, इस पुकार में बनावटीपन नहीं होता है। हृदय की
जिस सँसार सागर में लोभ की लहर एक रस है, हे परमात्मा उसमें मेरा शरीर डूब रहा है। इस सँसार
भक्त परमात्मा को अनेकों भावों से मनाता हैं। परमात्मा की विनती करते हुए कहता हैं कि हे परमात्मा तुम मेरे
गीता
प्रार्थना
गीता हृदय भगवान का,सब ज्ञान का शुभ सार है।इस शुद्ध गीता ज्ञानसे ही चल रहा संसार है।। गीता परम विद्या
हम प्रार्थना देश और राष्ट्र की सुरक्षा के लिए करे प्रार्थना देश के प्रधान के लिए करे। हे ईश्वर देश
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता।। पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम
।। प्रार्थना ।। प्रातः काल आँख खुलने पर कर दर्शन करते हुए भगवान की प्रार्थना करना चाहिए- कराग्रे वसते लक्ष्मी,