
।। गोपालस्तुति ।।
श्री गणेशाय नमः। ॐ नमो विश्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे।विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमो नमः।।१।। नमो विज्ञानरूपाय परमानन्दरूपिणे।कृष्णाय गोपीनाथाय गोविन्दाय नमो नमः।।२।। नमः कमलनेत्राय

श्री गणेशाय नमः। ॐ नमो विश्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे।विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमो नमः।।१।। नमो विज्ञानरूपाय परमानन्दरूपिणे।कृष्णाय गोपीनाथाय गोविन्दाय नमो नमः।।२।। नमः कमलनेत्राय

हे दीनदयाल, हे नाथ यह आंखें यह दिल यह आत्मा तुम्हें खोज रही है तुम मुझे छोड़कर कहां चले गए

“भक्तो का संसार हैभक्ति मे ही शक्ति है शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम्,प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये। भगवान विष्णु आकाश में विराजमान हैं

हमे पहले परम पिता परमात्मा का बनना होगा। परमात्मा से प्रेम करना होगा। एक ही भगवान पर विस्वास करना होगा।

मेरे भगवान नाथ मेरे स्वामी हे प्राण नाथ क्या मिलन भी होगा या ये जीवन ऐसे ही बह जाऐगा। हे

हम नमस्कार करते हैं तब हाथ जोड़कर शिश नवा कर नतमस्तक होते हैं नमस्कार में दो हाथ दस ऊंगलियां एक

परमात्मा को दिल में बिठा ले। हे प्रभु हे स्वामी हे भगवान् नाथ आज ये दिल तुमसे मिलने के लिए

प्रभु! तीनो लोकों के स्वामी है, अरे वह तो जगत के स्वामी है ,अरे भैया जगत को प्रभु ने ही

एक बार पश्चिम बंगाल के श्रीखण्ड नामक स्थान पर भगवान के एक भक्त, श्रीमुकुन्द दास रहते थे। श्रीमुकुन्द दास के

इस शरीर से ही हम परम तत्व परमात्मा तक पहुंचते हैं अध्यात्म के मार्ग में करके देखने पर स्वयं ही