आरती मनसा देवी की
मंगल की सेवा सुन मेरी देवी हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े। पान सुपारी ध्वजा नारियल ले ज्वालातेरी भेंट करें।। सुन
मंगल की सेवा सुन मेरी देवी हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े। पान सुपारी ध्वजा नारियल ले ज्वालातेरी भेंट करें।। सुन
आरती रामलला की कीजै आरती रामलला की कीजै,अपनो जन्म सुफल करि लीजै। अवधपुरी अति रम्य सुहावनि,सरजू तट सुन्दर अति पावनि,निरमल
मां तुलसी पूजन, तुलसी विवाह एवं कार्तिक माह में मां तुलसी की आरती सबसे अधिक श्रवण की जाती है। तुलसी
आरती रघुवर लाला की, सांवरिंया नैन विशाला की।कमल कर धनुष बाण धारे,सैलोने नैना रतनारे, छवि लख कोटी काम हारे,अलक की
चतुर्भुज जगन्नाथ कंठ शोभित कौसतुभः।पद्मनाभ, बेडगरवहस्य, चन्द्र सूरज्या बिलोचनः।। जगन्नाथ, लोकानाथ, निलाद्रिह सो पारो हरि।दीनबंधु, दयासिंधु, कृपालुं च रक्षकः।। कम्बु
विशेष – आज की पंचमी को रंग-पंचमी कहा जाता है. उत्तर भारत में विशेषकर मध्य-प्रदेश, राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में
आरती करिये सियावर की, अवधपति रघुवर सुंदर की, जगत में लीला विस्तारी कमल दल लोचन हितकारी , मुख पर अलके
आरती उतार लो सीता रघुवर जी की लक्ष्मण भरत शत्रुघ्नन के संग पवन तने जी की आरती उतार लो सीता
मैं तो आरती उतारूं रे, संतोषी माता की । जय जय संतोषी माता, जय जय मां ॥ बड़ी ममता है
आरती जगजननी मैं तेरी गाऊं। तुम बिन कौन सुने वरदाती, किस को जा कर विनय सुनाऊं। आरती जगजननी मैं तेरी