गीता के मूलमंत्र
अध्याय १मोह ही सारे तनाव व विषादों का कारण होता है । अध्याय २शरीर नहीं आत्मा को मैं समझो और
अध्याय १मोह ही सारे तनाव व विषादों का कारण होता है । अध्याय २शरीर नहीं आत्मा को मैं समझो और
गीता माधुर्य(स्वामी रामसुखदास)दसवाँ अध्याय इसके सिवाय क्या आप और भी कुछ करते हैं?हाँ, उन भक्तों पर कृपा करने के लिये
गीता
प्रार्थना
गीता हृदय भगवान का,सब ज्ञान का शुभ सार है।इस शुद्ध गीता ज्ञानसे ही चल रहा संसार है।। गीता परम विद्या
गीता जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं ||
|आज गीता जयन्ती हैं वैदिक पथिकमार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर गीताजयंती मनाई जाती है। इस साल 23
हिन्दू संस्कृति में यह दिन श्रीमद् भगवद्गीता की प्रतीकात्मक जयंती के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि
गीता सार क्यों व्यर्थ चिन्ता करते हो ? किससे व्यर्थ डरते हो ? कौन तुम्हे मार सकता है ? आत्मा
कथा कुछ इस प्रकार से है….. भगवान श्रीहरि मूर दैत्य का नाश करने के बाद बैकुंठ लोक में शेष शय्या
श्री गुरुगीता प्रास्ताविक भगवान शंकर और देवी पार्वती के संवाद में प्रकट हुई यह ‘श्रीगुरुगीता’ समग्र ‘स्कन्दपुराण’ का निष्कर्ष है।
हरि की दिव्य विभूति अमित है, है अनन्त उनका विस्तार।बता रहे हैं उनमें से कुछ जो प्रधान हैं सबमें सार।।हूँ
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि- मैं ‘आकाश’ में ‘शब्द’ हूँ ! रसोऽहमप्सु कौन्तेय प्रभास्मि शशिसूर्ययोः।प्रणवः सर्ववेदेषु शब्दः स्वे पौरुषं नृषु।।