
भक्त कोकिल भाग – 6
गतांक से आगे- “भक्ति को गुप्त रखना चाहिये , मेरी भक्ति का प्रचार प्रसार हो ऐसी कामना निन्दनीय है”। इस
गतांक से आगे- “भक्ति को गुप्त रखना चाहिये , मेरी भक्ति का प्रचार प्रसार हो ऐसी कामना निन्दनीय है”। इस
जिस प्रकार कोई खाली दीप में तेल डाल दे,ज्योति रख देऔर उसे जला दें, तो दीपक की ज्योति से चारो
।। कथा अमृत ।। सिकन्दर उस जल की तलाश में था, जिसे पीने से मानव अमर हो जाते हैं। दुनियाँ
क्षीरसागर का कछुवा क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेष शैया पर विश्राम कर रहे हैं और लक्ष्मी जी उनके पैर दबा
एक राजा बहुत दिनों से विचार कर रहा था कि वह राजपाट छोड़कर अध्यात्म (ईश्वर की खोज) में समय लगाए
एक बार अर्जुन अपने सखा श्री कृष्ण के साथ वन में विहार कर रहे थे। अचानक ही अर्जुन के मन
एक असुर था – दम्बोद्भव । उसने सूर्यदेव की बड़ी तपस्या की । सूर्य देव जब प्रसन्न हो कर प्रकट
मंदिर के शिखर के ऊपर अष्टधातु में बना एक विशाल चक्र है जिसे नील चक्र अथवा श्री चक्र कहते हैं।
उस दिन सबेरे 6 बजे मैं अपने शहर से दूसरे शहर जाने के लिए निकली, मैं रेलवे स्टेशन पहुंची ,
राजकुमारी कार्विका सिंधु नदी के उत्तर में कठगणराज्य की राजकुमारी थी । राजकुमारी कार्विका बहुत ही कुशल योद्धा थी। रणनीति