
गोवर्धन से मानसी गंगा दर्शन
गोवर्धन से मानसी गंगा के अभी के सुंदर दर्शन। मानसी गंगा गोवर्धन गाँव के बीच में है। परिक्रमा करने में
गोवर्धन से मानसी गंगा के अभी के सुंदर दर्शन। मानसी गंगा गोवर्धन गाँव के बीच में है। परिक्रमा करने में
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा कहते हैं। मान्यता है कि संपूर्ण वर्ष में केवल इसी
जहां भगवान ने मइया यशोदा को मुख में दिखा दिया समस्त ब्रह्मांड भगवान कृष्ण प्रतिदिन गोपियों के यहाँ माखन चुराने
दिन की आखिरी ट्रेन गर स्टेशन से निकल गई तो फिर कल सुबह ही अगली ट्रेन मिलने की कल्पना किए
एक अति प्राचीन कथा है। घने वन में एक तपस्वी साधनारत था–आंख बंद किए सतत प्रभु-स्मरण में लीन। स्वर्ग को
सुबह मेघनाथ से लक्ष्मण का अंतिम युद्ध होने वाला था। वह मेघनाथ जो अब तक अविजित था। जिसकी भुजाओं के
सुबह के समय मथुरा की एक चौबे की पत्नी यमुना में स्नान करने जाया करती थीं। एक दिन चौबे की
एक बार की बात है। बहुत दूर से ब्राह्मण संत एकनाथ महाराज का घर ढूँढ़ता हुआ आया था। जब वह
एक छोटे से गांव नयासर में एक गरीब औरत अपने परिवार के साथ रहती थी,उस गरीब औरत के एक बेटा
कान्हा नामका एक भंगी था वह नाली साफ करनेका काम किया करता था | वह भगवान् श्रीकृष्णसे बहुत प्रेम करता