Scriptures

परमात्मा की विनती

भक्त  परमात्मा को अनेकों भावों से मनाता हैं। परमात्मा की विनती करते हुए कहता हैं कि हे परमात्मा  तुम मेरे

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गंगा पार

प्रभु रामजी सीता लक्ष्मण और निषादराजके साथ गंगा-पार करके रेतीमें खड़े हैं । सकुचा रहे हैं कि केवटको पार उतारनेकी

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श्रीरामचरितमानस- अरण्यकाण्ड ।।(अत्रि मुनि द्वारा श्रीराम स्तुति)

।। छन्द-नमामि भक्त वत्सलं, कृपालु शील कोमलं।भजामि ते पदांबुजं, अकामिनां स्वधामदं।।१।। निकाम श्याम सुन्दरं, भवांबुनाथ मंदरं।प्रफुल्ल कंज लोचनं, मदादि दोष

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कर्ण की दानवीरता

आज का प्रभु संकीर्तन।सही समय पर उपलब्ध परिस्थिति में उत्तम निर्णय लेने वाले व्यक्ति जीवन में सदैव आनंदित रहते है।

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