हरे कृष्ण महा मंत्र
!! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !! !! हरे
!! हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे !!हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे !! !! हरे
माता पार्वती शिवजी की केवल अर्धांगिनी ही नहीं शिष्या भी बनीं। शिवजी से अनेक विषयों पर चर्चा करतीं।एक दिन पार्वतीजी
महामुनी व्यास को नदी के उस पार जाना था ,और वे नाव के प्रशिक्षा कर रहे थे,कि इतने में वहां
एक भक्त इमली के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान् का भजन कर रहा था। एक दिन वहाँ नारद जी महाराज
दोहा—-बांकी चितवन कटि लचक, बांके चरन रसाल । स्वामी श्री हरिदास के बांके बिहारी लाल ।।।। चौपाई ।।जै जै जै
वृन्दावन में श्रीकृष्ण का एक ऐसा मंदिर है जो अपने आप ही खुलता और बंद हो जाता है। यह भी
आज का प्रभु संकीर्तनजीवन मे मनुष्य बहुत कुछ जानने और सीखने का प्रयत्न करता है।सीखना और जानना एक कला है।जो
गोपियाँ श्री कृष्ण से पूछती हैं कि कान्हा बताओतुम जिस पर कृपा करते हो उसे क्या प्रदान करते हो.तो श्यामसुंदर
हे केशव, हे नाथ, मैं आपकी शरण मे हूँमैने जाने अनजाने मे , हाथ , पाँव , वाणी , शरीर
मनुष्य को निरन्तर प्रभु चिंतन करते रहना चाहिए।प्रभु चिंतन करते रहने से मनुष्य कष्टों से दूर रहता है, उसकी एकाग्रता