
कहो दशानन कैसे हो
आलोचना में छुपा हुआ सत्य और प्रशंसा में छुपा हुआ झूठ यदि मनुष्य समझ जाए तो आधी समस्याओं का समाधान

आलोचना में छुपा हुआ सत्य और प्रशंसा में छुपा हुआ झूठ यदि मनुष्य समझ जाए तो आधी समस्याओं का समाधान

पुनरपि जननं पुनरपि मरणं, पुनरपि जननी जठरे शयनम्।इह संसारे बहुदुस्तारे, कृपयाऽपारे पाहि मुरारेभजगोविन्दं भजगोविन्दं, गोविन्दं भजमूढमते।नामस्मरणादन्यमुपायं, नहि पश्यामो भवतरणे ॥

एक ब्राह्मण था रोज पीपल में जल चढ़ाता था। पीपल में से लड़की कहती पिताजी मैं तेरे साथ चलूँगी। ब्राह्मण

।। जय छठ मैया की, षष्ठी देवी स्तोत्र ।। नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नम:।शुभायै देवसेनायै षष्ठी देव्यै नमो

कार्तिक की कहानी एक जाट का था एक भाट का था। दोनों दोस्त थे। जाट का चला

एक पुरानी कहानीं घणी गई थोड़ी रही, या में पल पल जाय।एक पलक के कारणे, युं ना कलंक लगाय।एक राजा

भक्तमाल ग्रन्थ रचना जानकी जी की प्रधान सखी चन्द्रकला जी ही आचार्य स्वामी श्रीअग्रदेवजी महाराज के रूप में प्रकट हुई
।। श्रीकृष्णरासेश्वर- स्तोत्रम् ।।(शरदपूर्णिमा विशेष) विनियोग-ॐ अस्य श्रीकृष्णरासेश्वर-स्तोत्रस्य नारद ऋषिः,अनुष्टुप् छन्दः, श्रीरासेश्वरः श्रीकृष्णो देवता, “क्लीं” बीजं, “ह्रीं” शक्तिः, “श्रीं” कीलकम्,

इंद्रादि देवताओं के बाद धरती पर सर्वप्रथम विभीषण ने ही हनुमानजी की शरण लेकर उनकी स्तुति की थी। विभीषण को

ऐसी बात नहीं है कि अवधपुरी में राजा दशरथ के घर श्रीराम अवतरित हुए तब से ही लोग श्रीराम का