ऐसी लीला ठाकुर जी करते है ।
ब्रजरानी यशोदा भोजन कराते-कराते थोड़ी सी छुंकि हुई मिर्च लेकर आ गई क्योंकि नन्द बाबा को बड़ी प्रिय थी। लाकर
ब्रजरानी यशोदा भोजन कराते-कराते थोड़ी सी छुंकि हुई मिर्च लेकर आ गई क्योंकि नन्द बाबा को बड़ी प्रिय थी। लाकर
🙏 🙏 एक माँ थी उसका एक बेटा था। माँ-बेटे बड़े गरीब थे। एक दिन माँ ने बेटे से कहा
आदौ रामतपोवनादिगमनं हत्वा मृगं कांचनंवैदेहीहरणं जटायुमरणं सुग्रीवसंभाषणम्।वालीनिर्दलनं समुद्रतरणं लंकापुरीदाहनंपश्चाद्रावणकुंभकर्णहननं एतद्धि रामायणम्।। ।। इति एकश्लोकि रामायणं सम्पूर्णम् ।। अर्थ-एक बार श्रीराम
।। ।। अनाद्यनन्तरूपां त्वां जननीं सर्वदेहिनाम्।श्रीविष्णुरूपिणीं वन्दे महालक्ष्मीं परमेश्वरीम्।।१।। नामजात्यादिरूपेण स्थितां त्वां परमेश्वरीम्।श्रीविष्णुरूपिणीं वन्दे महालक्ष्मीं परमेश्वरीम्।।२।। व्यक्ताव्यक्तस्वरूपेण कृत्स्नं व्याप्य व्यवस्थिताम्।श्रीविष्णुरूपिणीं
जगज्जाल पालम् कचत् कण्ठमालंशरच्चन्द्र भालं महादैत्य कालम्।नभो-नीलकायम् दुरावारमायम्सुपद्मा सहायं भजेऽहं भजेऽहं।। सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्हासंबजगत्सन्निवासं शतादित्यभासम्।गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीत-वस्त्रंहसच्चारु-वक्रं भजेऽहं भजेऽहं।। रमाकण्ठहारं श्रुतिवातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारम्।चिदानन्दरूपं
।। श्रीहरि: ।। सहस्र कवच नाम का एक असुर था जो भगवान सूर्यदेव का अनन्य भक्त था। वैसे उसका असली
हनुमान जी की पूजा से ही नहीं बल्कि उनसे कुछ बातें सीख लेने पर भी हमारी सभी परेशानियां दूर हो
। ॐ गं गणपतये नमः।सर्वविघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्वसौख्य प्रदाय, बालानां बुद्धिप्रदाय,नानाप्रकार धन-वाहन-भूमि प्रदाय, मनोवांछित फलप्रदाय रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।। ॐ
यह स्तोत्र स्वयं सिद्ध अनुभूत तथा अचूक है। अति गोपनीय स्तोत्र का जीवन में प्रयोग करें और अत्यंत चमत्कारिक लाभ
त्वमेव माता च पिता त्वमेव,त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।त्वमेव विद्या च द्रविणं त्वमेव,त्वमेव सर्वम् मम देवदेवं।। भावार्थ- ‘हे भगवान! तुम्हीं माता