
श्रद्धा ही शिव
यह कहानी महाभारत के वनवास काल से जुड़ी है। इसमें बताया गया है कि एक दिन भोजन का समय हो

यह कहानी महाभारत के वनवास काल से जुड़ी है। इसमें बताया गया है कि एक दिन भोजन का समय हो

महर्षि कपिल प्रतिदिन पैदल अपने आश्रम से गंगा स्नान के लिए जाया करते थे। मार्ग में एक छोटा

हे नाथ ! चाहे मेरे दुख दूर मत करो , पर उनको सहने की शक्ति जरूर दो । ताकि मैं

मङ्गलमयी शिव स्तुति प्रतिदिन सुबह शिवलिंग पर जल, दूध अथवा पंचामृतस्नान के बाद फूल और श्रीफल अर्पित करें, तत्पश्चात शाम

एक बार की बात है, एक बड़े शहर में एक प्रसिद्ध प्रोफेसर रहते थे — डॉ. शेखर। वे ज्ञान के

अयि गिरिनंदिनि नंदितमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदनुतेगिरिवरविंध्यशिरोधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।भगवति हे शितिकण्ठकुटुंबिनि भूरिकुटुंबिनि भूरिकृतेजय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।। सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरतेत्रिभुवनपोषिणि

(एक प्रेरणादायक कहानी) गोपल एक बड़े और व्यस्त शहर में अपने माता-पिता के साथ रहता था। उसके पिता एक प्रतिष्ठित

प्रोफेसर डॉ. लोपा मेहता, जो मुंबई के KEM मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर रहीं, एनाटॉमी डिपार्टमेंट की हेड थीं ।उन्होंने 78

अर्जुन उत्तर भारत के एक छोटे-से गाँव में अर्जुन नाम का एक युवा रहता था। नाम तो उसका वीर पांडव

श्री रामाय नमः आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।वैधिहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।बालिनिर्दलानं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।पश्चाद रावण कुंभकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।। भावार्थ-श्रीराम