
ईश्वर भक्त को निराश नहीं करते
रामायण में वर्णित एक एक घटना अपने आप में मनुष्यों के लिए मार्गदर्शन करती है। यह घटना उस समय की
रामायण में वर्णित एक एक घटना अपने आप में मनुष्यों के लिए मार्गदर्शन करती है। यह घटना उस समय की
एक संत के बाबत मैंने सुनी है एक कहानी। यूरोप में एक फकीर हुआ, उसके बाबत बहुत सी कहानियां हैं,
मां पुत्र से अनेक विषय पर बात करती हैं मां देखती पुत्र मे पुत्र नहीं है। जिस पुत्र को मै
वरिष्ठ जनों को सादर प्रणाम, बुद्धवार, 16 अप्रैल, 2025विक्रमी संवत 2082, शक संवत 1947वैशाख माह कृष्ण पक्षनक्षत्र: अनुराधा राहु कालम:
एक ऋषि यति-मुनि एक समय घूमते-घूमते नदी के तट पर चल रहे थे। मुनि को मौज आई। हम
शिव रूद्र अभिषेक एक बहुत ही उत्तम स्तोत्र जो महाभारत के द्रोणपर्व में अर्जुन द्वारा रचित है। इसी स्तोत्र के
बंदउँ अवध पुरी अति पावनि। सरजू सरि कलि कलुष नसावनि॥प्रनवउँ पुर नर नारि बहोरी। ममता जिन्ह पर प्रभुहि न थोरी॥मैं
बरसाना में गोविन्द दास नाम का एक भक्त रहता था।उसकी एक पुत्री थी, जिसका नाम था मुनिया।*गोविन्द दास के परिवार
कीचड़ में होते हुए भी कमल कैसे खिला हुआ रहता है “वैरागी जीवन” आप कैसे वैरागी ? चक्रवती भरत के
एक राजा की पुत्री के मन में वैराग्य की भावनाएं थीं। जब राजकुमारी विवाह योग्य हुई तो राजा को उसके