
,,भरत,, शब्द से,श्री मानस में आई हुई चौपाई दोहे आदि क्रमवार,
बाल काण्ड।। 1,,भरत सुभाउ सुसीतलताई,सदा एकरस,बरनि न जाई ।। 2,,भरत सत्रहुँन दूनऊं भाई ,प्रभु सेवक जसि प्रीति बडाई ।। 3,,

बाल काण्ड।। 1,,भरत सुभाउ सुसीतलताई,सदा एकरस,बरनि न जाई ।। 2,,भरत सत्रहुँन दूनऊं भाई ,प्रभु सेवक जसि प्रीति बडाई ।। 3,,

जिन पंक्तियों के माध्यम से संत तुलसीदास पर ” शूद्र एवं नारी अवमानना ” के आरोप लगते रहे हैं ,

हमारे जीवन में सुख-दुख का आना-जाना लगा ही रहता है. यदि सुख है तो दुख भी आएंगे ही. इसलिए हमें

किसी भी प्रकार की मशीन हो मशीन को चलाते रहेगें तब वह कार्य करती है। मशीन को कुछ समय नहीं

विवाह की कामना लेकर नारद जी वापस बैकुंठ गए और विष्णुजी से खुद को रूपवान बनाने की विनती की। श्रीहरि

श्रीमद्भगवद्गीता में प्रभु ने कहा है “वृष्णिनां वासुदेवोऽस्मि” यादवों में मैं वासुदेव हूँ |ॐ कृष्णऺ वंदे जगद्गुरूम् ॐ“कौन्तेय प्रतिजानीहि न

राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत पुराण सुनातें हुए जब शुकदेव जी महाराज को छह दिन बीत गए और तक्षक ( सर्प

1 बालकाण्ड –बालक प्रभु को प्रिय है क्योकि उसमेँ छल , कपट , नही होता विद्या , धन एवं प्रतिष्ठा

ऋषि अगस्त्य के जन्म की कथा एक बार एक समय पर मित्र (सूर्य) और वरुण (बारिश का देवता) अप्सरा उर्वशी

कितना अजीब है ना दिसंबर और जनवरी का रिश्ता?जैसे पुरानी यादों और नए वादों का किस्सा…दोनों काफ़ी नाज़ुक है दोनो