
श्रीमदभागवतमहापुराण में भगवन्नाम महिमा (पोस्ट 2)
|| श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे………..राजा परीक्षित ने पूछा – भगवन ! मनुष्य राजदण्ड, समाजदण्ड आदि लौकिक और

|| श्री हरि: || गत पोस्ट से आगे………..राजा परीक्षित ने पूछा – भगवन ! मनुष्य राजदण्ड, समाजदण्ड आदि लौकिक और

राजा परीक्षित ने कहा – भगवन ! आप पहले (दिव्तीय सकन्ध में) निवृतिमार्ग का वर्णन कर चुके हैं तथा यह

. श्रीकृष्ण के विरह में गोपियों की दशा भगवान् को न देखकर व्रज युवतियों की वैसी ही दशा हो गयी,

. रासलीला का आरम्भ शरद् ऋतु थी। उसके कारण बेला, चमेली आदि सुगन्धित पुष्प खिलकर महक रहे थे। भगवान ने

एक बार एक सम्राट एक साधु से बहुत प्रभावित हो गए। सम्राट रोज रात को अपने घोड़े पर सवार होकर

श्री समर्थ रामदास स्वामी एक दिन अपने शिष्यों के साथ यात्रा पर निकले थे।.दोपहर के समय एक बड़े कुएँ के

गरीबी से जूझती सरला दिन-ब-दिन परेशान रहने लगी थी।भगवान के प्रति उसे असीम श्रद्धा थी और नित नेम करके ही

भारत ही नहीं, तो विश्व भर में हिन्दू धर्मग्रन्थों को शुद्ध पाठ एवं छपाई में बहुत कम मूल्य पर पहुँचाने

श्री गणेशाय नमः। ॐ नमो विश्वरूपाय विश्वस्थित्यन्तहेतवे।विश्वेश्वराय विश्वाय गोविन्दाय नमो नमः।।१।। नमो विज्ञानरूपाय परमानन्दरूपिणे।कृष्णाय गोपीनाथाय गोविन्दाय नमो नमः।।२।। नमः कमलनेत्राय

हे दीनदयाल, हे नाथ यह आंखें यह दिल यह आत्मा तुम्हें खोज रही है तुम मुझे छोड़कर कहां चले गए