
।। रुद्रगायत्री मंत्र एवं श्रीरुद्रद्वादशनामस्तोत्रं ।।
रूद्ररूप में भगवान शिव के साथ संरेखित करने के लिए रुद्र गायत्री मंत्र का अभ्यास किया जाता है। रूद्र मंत्र
रूद्ररूप में भगवान शिव के साथ संरेखित करने के लिए रुद्र गायत्री मंत्र का अभ्यास किया जाता है। रूद्र मंत्र
अगर विवाह में विलंब हो रहा है या कोई बाधा आ रही है या फिर योग्य जीवनसाथी नहीं मिल पा
।। ।।(महारुद्र) यहां हनुमानजी के पंचमुख का रहस्य, सरल पूजा विधान ओर पंचवक्त्र स्तोत्र हिंदी भावार्थ के साथ प्रस्तुत कर
प्रणम्य श्रीगणेशं च श्रीरामं मारुतिं तथा।रक्षामिमां पठेत्प्राज्ञः श्रद्धाभक्ति समन्वितः।।१।। शिरो मे हनुमान् पातु भालं पवननन्दनः।आञ्जनेयो दृशौ पातु रामचन्द्रप्रियश्रुती।।२।। घ्राणं पातु
हिमालय कृत शिव स्तोत्र हिमालय द्वारा रचित भगवान शिव की महिमा में एक दिव्य राग है। हिमालय पर्वतों का मानवीकरण
उपहरणं विभवानां संहरणं सकलदुरितजालस्य।उद्धरणं संसाराच्चरणं वः श्रेयसेऽस्तु विश्वपतेः।। भिक्षुकोऽपि सकलेप्सितदाता प्रेतभूमिनिलयोऽपि पवित्र:।भूतमित्रमपि योऽभयसत्री तं विचित्रचरितं शिवमीडे।। अर्थ-समस्त ऐश्वर्यो को प्रदान
दरिद्रता और ऋण के भार से दु:खी व संसार की पीड़ा से व्यथित मनुष्यों के लिए प्रदोष पूजा व व्रत
।। ॐकारं बिंदुसंयुक्तं नित्यं ध्यायंति योगिनः।कामदं मोक्षदं चैव ॐकाराय नमो नमः।।१।। नमंति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः।नरा नमंति देवेशं नकाराय नमो
।। ।। नित्यानंदकरी वराभयकरी सौंदर्य रत्नाकरीनिर्धूताखिल घोर पावनकरी प्रत्यक्ष माहेश्वरी।प्रालेयाचल वंश पावनकरी काशीपुराधीश्वरीभिक्षां देहि कृपावलंबनकरी मातान्नपूर्णेश्वरी।। नाना रत्न विचित्र भूषणकरि
राधानामपरमसुखदाई मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी,प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी।व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते,कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥ (१) समस्त मुनिगण आपके चरणों की वंदना करते हैं, आप तीनों