
जय भगवति देवि नमो वरदे
।। भगवती स्तोत्रम् ।। महर्षि व्यास द्वारा लिखा गया मां दुर्गा का यह स्तोत्र कल्याणकारी है। इसका पाठ करने से

।। भगवती स्तोत्रम् ।। महर्षि व्यास द्वारा लिखा गया मां दुर्गा का यह स्तोत्र कल्याणकारी है। इसका पाठ करने से

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिंगं निर्मलभासितशोभित लिंगम् ।जन्मजदुःखविनाशकलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥१॥ देवमुनिप्रवरार्चितलिंगं कामदहं करुणाकरलिंगम् ।रावणदर्पविनाशन लिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥२॥ सर्वसुगंधिसुलेपितलिंगं बुद्धिविवर्धनकारणलिंगम् ।सिद्धसुरासुरवंदितलिंगं तत्प्रणमामि सदाशिवलिंगम्

नागेन्द्रहाराय ,त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,तस्मै

अयि गिरिनंदिनि नंदितमेदिनि विश्वविनोदिनि नंदनुतेगिरिवरविंध्यशिरोधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।भगवति हे शितिकण्ठकुटुंबिनि भूरिकुटुंबिनि भूरिकृतेजय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते।। सुरवरवर्षिणि दुर्धरधर्षिणि दुर्मुखमर्षिणि हर्षरतेत्रिभुवनपोषिणि

मंगला गौरी स्तोत्र देवी पार्वती जी के मंगलमयी स्वरूप- मंगला गौरी- को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली और मंगलकारी स्तोत्र है।
। शिव ताण्डव स्तोत्र (शिवताण्डवस्तोत्रम्) परम शिवभक्त लंकापति रावण द्वारा गाया भगवान शिव का स्तोत्र है, मान्यता है कि एक

संकटनाशक विष्णु स्तोत्र भगवान श्रीहरि विष्णु के संकष्टनाशन विष्णुस्तोत्र का पाठ करने से कष्ट से मुक्ति मिलती है एवं उनकी

अगर हम विष्णुपुराण वर्णित लघुविष्णुसहस्रनाम का ही पाठ करें तो निश्चित ही विष्णु सहस्रनाम का फल मिल जाता है। अलं

श्रीहरिविष्णु- स्तोत्र (हिंदीअर्थ सहित) जगत के पालनहार भगवान श्रीहरिविष्णु को समर्पित इस स्तोत्र की रचना श्री आचार्य ब्रह्मानंद के द्वारा

ऊर्ध्वाम्नाय तंत्र में शिव-पार्वती संवाद के अंतर्गत यह स्तोत्र स्वयं भगवान् शिव के मुख से प्रकट हुआ है, शिव जी