Stories

जीवन भीतर है

माओत्से-तुंग ने अपने बचपन की एक छोटी सी घटना लिखी है। लिखा है कि मेरी मां का एक बगीचा था।

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शकुन्तला

                                         एक बार हस्तिनापुर नरेश दुष्यन्त आखेट खेलने वन में गये। जिस वन में वे शिकार के लिये गये

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करमैतीबाई

नश्वर पति रति त्यागि कृष्णपदसों रति जोरी।सबै जगतकी फाँस तरकि तिनुका ज्यों तोरी॥निर्मल कुल काँथड़ा धन्य परसा जेहि जाई।करि वृन्दावन-वास

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गोपाष्टमी विशेष   जबालापुत्र सत्यकामको गोसेवासे ब्रह्मज्ञान कथा

                        एक सदाचारिणी ब्राह्मणी थी, उसका नाम था जबाला। उसका एक पुत्र था सत्यकाम। जब वह विद्याध्ययन करने योग्य

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कहो दशानन कैसे हो

आलोचना में छुपा हुआ सत्य और प्रशंसा में छुपा हुआ झूठ यदि मनुष्य समझ जाए तो आधी समस्याओं का समाधान

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