Stories

प्रभु का दरवाजा

ना जन्म हमारी मर्जी से होता है ना ही मृत्यु तो जन्म मृत्यु के बीच होने वाली व्यवस्था हमारी मर्जी

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गोविन्द दास की भक्ति

बरसाना में गोविन्द दास नाम का एक भक्त रहता था।उसकी एक पुत्री थी, जिसका नाम था मुनिया।*गोविन्द दास के परिवार

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वैरागी जीवन

कीचड़ में होते हुए भी कमल कैसे खिला हुआ रहता है “वैरागी जीवन” आप कैसे वैरागी ? चक्रवती भरत के

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सन्यासी

एक राजा की पुत्री के मन में वैराग्य की भावनाएं थीं। जब राजकुमारी विवाह योग्य हुई तो राजा को उसके

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पीपल का वृक्ष

लुकमान के जीवन मे उल्‍लेख है कि एक आदमी को उसने भारत भेजा आयुर्वेद की शिक्षा के लिए और उससे

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संन्यासी और युवती

एक पहुंचे हुए महात्मा थे। एक दिन महात्मा जी ने सोचा कि उनके बाद भी धर्मसभा चलती रहे इसलिए क्यों

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प्रेम  तत्व-रहस्य

परमात्मा या मुक्ति की प्राप्ति के लिये जितने साधन बतलाये गये हैं, उनको आदर देना ही साध्य को आदर देना

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भगवान पर विश्वास

अपना उद्धार होगा, कल्याण होगा, परमात्माकी प्राप्ति होगी, जीवन्मुक्ति होगी – यह सब वास्तवमें कृपासे होगा। यह एकदम सच्ची बात

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