कृषकका सम्मान हो
कृषकका सम्मान हो अमेरिकाके तृतीय राष्ट्रपति ‘टॉमस जैफरसन’ कृषकों एवं श्रमिकोंका बहुत सम्मान करते थे। स्वयं भी सादगीपूर्ण रीतिसे जीवनयापन
कृषकका सम्मान हो अमेरिकाके तृतीय राष्ट्रपति ‘टॉमस जैफरसन’ कृषकों एवं श्रमिकोंका बहुत सम्मान करते थे। स्वयं भी सादगीपूर्ण रीतिसे जीवनयापन
मानव-जीवन एक शून्य- बिन्दुके सदृश है। तबतक उसका कुछ भी मूल्य नहीं, जबतक उसके आगे त्याग एवं वैराग्यका कोई अङ्क
ढूँड़ी भूसीकी कथा [ लालचका दण्ड ] एक गाँवमें एक गरीब ब्राह्मण-दम्पती रहते थे। वे भिक्षा माँग करके किसी तरहसे
(3)’तू गधा नहीं शेर है’ एक किसान अपने पके हुए खेतको बहुत-से मजदूरोंसे कटवा रहा था। जब थोड़ा-सा दिन बाकी
बादशाहकी सवारी निकली थी। मार्गके समीप वृक्षके नीचे एक अलमस्त फकीर लेटे थे अपनी मस्तीमें। बादशाह धार्मिक थे, श्रद्धालु थे,
औरंगजेबकी आज्ञासे गुरु तेगबहादुरकी दिल्लीमें नृशंसतापूर्वक हत्या कर दी गयी। बादशाहको इतनेसे संतोष नहीं हुआ। उसने आज्ञा दी – ‘इस
सद्व्यवहारका अचूक अस्त्र एक राजाने एक दिन स्वप्न देखा कि कोई परोपकारी साधु उससे कह रहा है कि बेटा! कल
कोई भक्त राजा एक महात्माकी पर्णकुटीपर जाया करते थे। उन्होंने एक बार महात्माको अपने महलोंमें पधारनेके लिये कहा, पर महात्माने
समस्या चट्टान-सी पुराने समयकी बात है। माधोपुर गाँवमें एक किसान माधवनाथ रहता था। उसके पास खेती करनेके लिये एक बड़ा-सा
दृष्टिका भेद एक चित्रकार था। उसने एक सुन्दर रंगीन चित्र तैयार किया। वह अपने चित्रको लेकर विनोबाजी के पास पहुँचा।