
भक्ति का सुंदर उदाहरण, जनाबाई का जीवन प्रसंग
बोधकथा एकादशी की रात्रि में श्रीनामदेवजी के घर अखण्ड कीर्तन होता था । भगवान सूर्य के अस्ताचलगामी होते ही जनाबाई
बोधकथा एकादशी की रात्रि में श्रीनामदेवजी के घर अखण्ड कीर्तन होता था । भगवान सूर्य के अस्ताचलगामी होते ही जनाबाई
भक्त तुलसीदास जी का अध्ययन काफी गंभीर एवं व्यापक था। अपने ग्रंथ श्री रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने भगवत् गीता
पंडित श्री जगन्नाथ प्रसाद जी ‘भक्तमाली’ के भक्तिभाव के कारण वृंदावन के सभी संत उनसे बहुत प्रभावित थे और उनके
बात तबकी है, जब प्रथम जैन तीर्थंकर श्रीआदिनाथ पृथ्वीपर राज करते थे। राज करते-करते दीर्घकाल व्यतीत हो गया, तब देवलोकमें
केतकी का पति और केतकी ठाकुर जी और किशोरी जी को बहुत मानते थे.. और उनकी कृपा से उनके घर
यह जगत तुम्हारा घर है। अगर एक क्षण को भी तुम्हारा भीतर का वार्तालाप टूट जाए…सारे सत्संगों का, सारे गुरुओं
एक बार काग्भुशुण्ड ने ब्रह्मा जी से कहा – राम ने जब दशरथ के घर में जन्म लिया
कहा जाता है कि जब जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है तो भगवान अवतार लेकर उस संकट को दूर
बहुत समय पहले की बात है एक विख्यात ऋषि रघुवीर गुरुकुल में बालकों को शिक्षा प्रदान किया करते थे उनके
एक साधु प्रत्येक घर के सामने खड़ा होकर पुकारता।माई! मुठ्ठी भर मोती देना.. ईश्वर, तुम्हारा कल्याण करेगा.. भला करेगा।’ साधु