
सत्यके विविध आयाम
(4) सत्यके विविध आयाम आश्रमके तीन झेन-साधक बाहर टहल रहे थे, हवा तेज थी और आश्रमकी ध्वजा तेजीसे फड़फड़ा रही

(4) सत्यके विविध आयाम आश्रमके तीन झेन-साधक बाहर टहल रहे थे, हवा तेज थी और आश्रमकी ध्वजा तेजीसे फड़फड़ा रही

पिताका आशीर्वाद नहीं समझा एक युवक स्नातककी पढ़ाई कर रहा था। उसकी इच्छा थी कि पढ़ाई पूरी होनेपर, स्नातक-दिवसपर उसके

नींवके पत्थर बात सन् 1928-29 ई0की है। लालबहादुर शास्त्री लोक-सेवक मण्डलकी जिम्मेदारियाँ लेकर इलाहाबाद पहुँचे। छोटा कद, दुबली-पतली काठी, सिरपर

श्रीनन्दरानी अपने प्राङ्गणमें कुछ गुनगुन गाती कन्हाईके कलेककी सामग्री एकत्र करने जा रही थीं। बड़ा चञ्चल है उनका श्याम। वह

भीमका महावीर राक्षसपुत्र घटोत्कच मारा गया। पाण्डवशिविरमें शोक छाया है, सबकी आँखोंसे आँसू वह रहे हैं; केवल श्रीकृष्ण प्रसन्न हैं।

जैसी नीयत, वैसी बरकत दानधर्मा प्रकृति भी नीयतके अनुसार बरक्कत (बढ़ोत्तरी) देती है, यह एक सर्वमान्य सिद्धान्त है। एक बार

संत ज्ञानेश्वर और संत नामदेव महाराज तीर्थ यात्रा करते-करते हस्तिनापुर (दिल्ली) पहुँचे। संतोंके आने से दिल्लीमें नामदेव कीर्तनकी धूम मच

बहुत दिनोंकी बात है। बगदादमें हसन नामका एक व्यक्ति रहता था। वह खलीफाके यहाँ नौकर था। उसने नौकरीसे बहुत धन

घोर दुष्काल पड़ा था। लोग दाने-दानेके लिये भटक रहे थे। भगवान् बुद्ध से जनताका यह कष्ट सहा नहीं गया। उन्होंने

खेतड़ीके महाराजके साथ भेंट एक निरभिमानी जीवन एक और चित्ताकर्षक घटना तब घटी, जब विवेकानन्द खेतड़ीके महाराजके यहाँ रुके हुए