
साधुवेष बनाकर धोखा देना बड़ा पाप है
एक राजाको कोढ़की बीमारी हो गयी थी। वैद्योंने बताया कि मानसरोवरसे हंस पकड़वाकर मँगाये जायँ और उनके पित्तसे दवा बने

एक राजाको कोढ़की बीमारी हो गयी थी। वैद्योंने बताया कि मानसरोवरसे हंस पकड़वाकर मँगाये जायँ और उनके पित्तसे दवा बने

राजपुरोहित तथा सेठ सुदर्शनकी प्रगाढ़ मैत्री थी। पुरोहितजीकी पत्नीने सेठके सदाचारकी परीक्षा लेनेका निश्चय किया। एक दिन जब पुरोहितजी घरसे

भगवान् श्रीरामके विषयमें प्रसिद्ध है कि ये वनयात्राके समय रत्तीभर भी उद्विग्न नहीं हुए थे- तथा न मम्ले वनवासदुःखतः।’ बल्कि

प्राचीन समयकी बात है। यूनान अपनी कला और दर्शनके लिये दूर-दूरके देशोंमें प्रसिद्ध था। यूनानके कारिन्थ प्रदेशमें पेरिवंडर नामका एक

सबसे पहले कर्तव्य एक बार बुद्ध किसी गाँवमें अपने एक किसान भक्त यहाँ गये। शामको किसानने उनके प्रवचनका आयोजन किया।

साधारण वेषमें असाधारण मनुष्य हुगली जिलेके किसी दूर-दराजके गाँवके एक स्कूलमें विद्यासागर आनेवाले हैं। गाँवभरके स्त्री-पुरुष टूट पड़े, सभी विद्यासागरको

खुशी बाँटो, खुश रहो एक कंजूस सेठ था। उसकी कंजूसीके कारण पड़ोसी, मित्र, रिश्तेदार यहाँतक कि उसकी पत्नी और बेटे

लोकमान्य तिलक कितने स्थितप्रज्ञ थे, यह उनके जीवनकी अनेक घटनाओंसे प्रकट है। एक बार वे अपने कार्यालयमें किसी महत्त्वपूर्ण प्रश्नपर

माता सुमित्रा अपने पुत्र लक्ष्मणका श्रीरामजीकी सेवाके लिये वन जानेका विचार सुनकर अत्यन्त प्रमुदित हो गयीं। उन्होंने जो कुछ कहा,

नित्य प्रेरणादायी श्लोक भारतके महान् वीर, न्यायप्रिय, प्रतिभावान् और असाधारण विद्वान् राजा विक्रमादित्यको कौन नहीं जानता? उनकी स्मृतिमें चलनेवाले विक्रम