
घट-घटमें भगवान्
लगभग पचास वर्ष पहलेकी बात है। दक्षिण भारतके प्रसिद्ध संत औलिया साईं बाबाने अध्यात्म जगत् में बड़ा नाम कमाया। एक

लगभग पचास वर्ष पहलेकी बात है। दक्षिण भारतके प्रसिद्ध संत औलिया साईं बाबाने अध्यात्म जगत् में बड़ा नाम कमाया। एक

धन ही तो बाधा है गोपाल्लव नामक सेठ हर समय धनार्जनके जुगाड़में लगा रहता था। जैसे-जैसे धन-सम्पत्ति बढ़ती जाती थी,

एक साधकने किसी महात्मा के पास जाकर उनसे । प्रार्थना की कि ‘मुझे आत्मसाक्षात्कारका उपाय बताइये।’ महात्माने एक मन्त्र बताकर

एक दिनकी बात है। योगिराज गम्भीरनाथ अपने कपिलधारा पहाड़ीवाले आश्रममें अत्यन्त शान्त और परम गम्भीर मुद्रामें बैठे हुए थे। वे

स्वामी उग्रानन्दजी बहुत अच्छे संत थे। बड़े सहिष्णु तथा सर्वत्र भगवद्बुद्धि रखनेवाले थे। एक बार आप उन्नाव जिलेके किसी ग्राममें

दिया मैंने अपना जीवन दुखियोंके लिये ! उनतीस सालका एक नौजवान अपनी मैजपर फैले कागजपत्र समेट रहा था कि एक

सहकारका चमत्कार एक-दूसरेकी आपसी मददसे किस प्रकार कार्य सफल हो सकते हैं, इसका बड़ी खूबीके साथ चित्रण करनेवाली उपनिषद्की एक

लालचका फल बहुत दूर एक गाँवमें राम और श्यामू नामके दो किसान रहते थे। उनमें रामू सीधा-सादा और नेक था,

बड़ोदाके शेडखी नामक गाँवमें संत रविसाहेबका निवास था। एक समय उत्तर गुजरातके कुछ प्रेमी भजनीक शेडखीकी ओर जा रहे थे।

अब्राहम लिंकन अमेरिकाके राष्ट्रपति थे। उनके शासनकालमें अमेरिका बहुत समृद्ध और समुन्नत था । पर कमी केवल इस बातकी थी