
आप सुलतान कैसे हुए
बादशाह होनेके पश्चात् एक बार किसीने हसनसे पूछा- ‘आपके पास न तो पर्याप्त धन था और न सेना थी, फिर

बादशाह होनेके पश्चात् एक बार किसीने हसनसे पूछा- ‘आपके पास न तो पर्याप्त धन था और न सेना थी, फिर

शिवकी कृपाके बिना काशीवास सम्भव नहीं दक्षिण समुद्रके तटपर सेतुबन्धतीर्थके समीप कोई धनंजय नामवाला वैश्य रहता था। वह अपनी माताका

विभिन्न धर्म-संस्कृतियोंकी प्रेरक बोधकथाएँ धूर्त बगुला (महामहोपाध्याय प्रो0 श्रीप्रभुनाथजी द्विवेदी) प्राचीन कालमें किसी समय बोधिसत्त्व कमलसे भरे हुए अगाध जलवाले

परम भक्त श्रीजयदेवजीकी पतिव्रता पत्नीका राजभवनमें बड़ा सम्मान था। राजभवनकी महिलाएँ उनके घर आकर उनके सत्सङ्गका लाभ उठाया करती थीं।

भावी शुभाशुभके आधारका बोध एक बार हिमालयपर्वतपर विराजमान भगवान् महेश्वरसे देवी पार्वतीने पूछा-भगवन्! आपने बताया कि मनुष्योंकी जो भली-बुरी अवस्था

सबसे सुन्दर चित्र बहुत पुरानी बात है। एक चित्रकार दुनियाका सबसे सुन्दर चित्र बनाना चाहता था। वह अपने गुरुके पास

एक वैश्य था, जिसका नाम था नन्दभद्र। उसको धर्मनिष्ठा देखकर लोग उसे साक्षात् ‘धर्मावतार’ कहा करते थे। वास्तवमें वह था

संगतिका प्रभाव किसी गाँव में एक कुख्यात चोर रहता था। उसनेकई चोरियाँ और हत्याएँ की थीं। उसका एक दोस्त था,जो

एक बार देवता, मनुष्य और असुर-ये तीनों ही ब्रह्माजीके पास ब्रह्मचर्यपूर्वक विद्याध्ययन करने गये। कुछ काल बीत जानेपर उन्होंने उनसे

एक महात्मा राजगुरु थे। वे प्रायः राजमहलमें राजाको उपदेश करने जाया करते। एक दिन वे राजमहलमें गये। वहीं भोजन किया।