
एक किसानकी कथा
एक किसानकी कथा एक बार कबीरने एक किसानसे पूछा कि क्या तुम पूजा-पाठ, भगवद्धजनके लिये कुछ समय देते हो ?

एक किसानकी कथा एक बार कबीरने एक किसानसे पूछा कि क्या तुम पूजा-पाठ, भगवद्धजनके लिये कुछ समय देते हो ?

प्राचीन समयकी बात है। सिंहकेतु नामक एक पञ्चालदेशीय राजकुमार अपने सेवकोंको साथ लेकर एक दिन वनमें शिकार खेलने गया। उसके

एक अंग्रेज अफसर अपनी नवविवाहिता पत्नीके साथ जहाजमें सवार होकर समुद्र यात्रा कर रहा था। रास्तेमें जोरसे तूफान आया। मुसाफिर

एक सुन्दरी बालविधवाके घरपर उसका गुरु आया। विधवा देवीने श्रद्धा-भक्तिके साथ गुरुको भोजनादि कराया। तदनन्तर वह उसके सामने धर्मोपदेश पानेके

ईरानके न्यायनिष्ठ बादशाह नौशेरवाँ एक बार कहीं शिकारमें निकले थे। भोजन बनने लगा तो पता लगा कि नमक नहीं है।

नींवके पत्थर बात सन् 1928-29 ई0की है। लालबहादुर शास्त्री लोक-सेवक मण्डलकी जिम्मेदारियाँ लेकर इलाहाबाद पहुँचे। छोटा कद, दुबली-पतली काठी, सिरपर

एक ईश्वरविश्वासी, त्यागी महात्मा थे; वे किसीसे भीख नहीं माँगते, टोपी सीकर अपना गुजारा करते। एक टोपीकी कीमत सिर्फ दो

भटके नवयुवकोंकी सँभाल मद्राससे दो भले घरोंके लड़के घर छोड़कर बम्बई चले जाते हैं। क्यों? ईसाई बन जायँगे। बम्बईसे मिशनरी

अज्ञानमें करना मूर्खता तो जानकर करना अपराध हेनरी थोरो (1817 – 1862 ई0) अमेरिकाके प्रधान चिन्तक एवं विचारक माने जाते

मायामय संसार पूर्वकालमें देवशर्मा नामके एक ब्राह्मण थे, जो वेदोंके पारगामी विद्वान् थे और सदा स्वाध्यायमें ही लगे रहते थे।