
स्वंयभू श्री राधारमण
स्वंयभू का मतलब होता है स्वंय से प्रकट हमारे श्री राधारमण देव जु स्वंय से प्रकट है इसलिये ये किसी

स्वंयभू का मतलब होता है स्वंय से प्रकट हमारे श्री राधारमण देव जु स्वंय से प्रकट है इसलिये ये किसी

राधाजी और श्रीकृष्ण का प्रेम अलौकिक था। राधा कृष्ण के प्रेम को सांसारिक दृष्टि से देखेंगे तो समझ ही नहीं

ॐ आध्यात्मिक दर्शन ॐॐ मैं और ज्ञाता ॐॐ इस मैं की खोज ॐज्ञाता:- पुनः पूछता है।हे मैं तुम कौन हो।मैं:-

वह मंदिर की पूजा में बहुत शानदार सेवा पेश करना चाहता था, लेकिन उसके पास धन नहीं था ! एक

वामन अवतार और राजाबलि के दान की कथा। कथा विस्तार से है मेरा निवेदन है कि कथा पूरी पढ़े। इस

मैं भगवान् नहीं भगवान् का भक्त बनना चाहता हूँ , क्योंकि भगवान् स्वयं से भी उतना प्रेम नहीं करते जितने

परोपकारी व्यक्ति सदा दूसरों के प्रति करुणा का भाव रखते हैं और उनकी ख़ुशी और उनके सुख में अपना सुख

बहुत-से लोग कहा करते हैं कि यथाशक्ति चेष्टा करने पर भी भगवान् हमें दर्शन नहीं देते……! वे लोग भगवान् को

।। श्री रामाय नमः ।।एक दिन जब श्रीरघुनाथ जी एकांत में ध्यानमग्न थे, प्रियभाषिणी श्री कौसल्या जी ने उन्हें साक्षात्

पुराने जमाने में एक राजा हुए थे, भर्तृहरि। वे कवि भी थे।उनकी पत्नी अत्यंत रूपवती थीं। भर्तृहरि ने स्त्री केसौंदर्य