
स्वामी तन मन धन सब कुछ तेरा का सही अर्थ
एक राजा थे वो हर समय राज्य की चिन्ताओ से घिरे रहते थे चिन्ताए कुछ ऐसी बढ़ गयी की घबडाहट

एक राजा थे वो हर समय राज्य की चिन्ताओ से घिरे रहते थे चिन्ताए कुछ ऐसी बढ़ गयी की घबडाहट

सुदामा का स्नान भोजनादि सब हो चुका था, श्रीकृष्ण अब अपने इस सखा का प्रेम से हाथ पकडे वहाँ ले

पूज्य सद्गुरुदेव जी ने कहा – सचराचर जगत् में सर्वत्र सभी नाम रूपों में ब्रह्म भाव से अवस्थित माँ ब्रह्मचारिणी

।। श्रीहरि: ।। उपनिषदों में कहा गया है कि शरीर रथ है, इन्द्रियाँ घोड़े हैं, इन्द्रियों का स्वामी मन इन

क्या आपने कभी ईश्वर से बात करने का प्रयास किया है। अगर नहीं किया है तो आज से ही परमात्मा

विष्णु जी ने दिया था लक्ष्मी जी को श्रापदेवी भागवत पुराण के छठे स्कंद में श्री हरि विष्णु और मां

Hare Rama Hare Krishna ” प्रेम ही तो एकमात्र वस्तु है इस जगत में जिसमें ईश्वर की थोड़ी झलक है।

एक बार कागज का एक टुकड़ा हवा के वेग से उड़ा और पर्वत के शिखर पर जा पहुँचा…पर्वत ने उसका

जो बात युक्ति ( दृष्टांत ) से समझ में आ जाए !उसमें वैदिकमंत्रों की कोई आवश्यकता नहीं होती !!!एक महात्मा

एक राजा बड़ा सनकी था। एक बार सूर्यग्रहण हुआ तो उसने राजपंडितों से पूछा, ‘‘सूर्यग्रहण क्यों होता है?’’पंडित बोले, ‘‘राहू