
मन भगवान मे लग गया तो मुक्त हो जाओगे
जैसे एक ही चाबी ताले को खोलती भी है और बंद भी करती है, एक ही मन बंधन का भी

जैसे एक ही चाबी ताले को खोलती भी है और बंद भी करती है, एक ही मन बंधन का भी

राजा दशरथ के मुख से अन्तिम शब्द राम -राम -राम -राम -राम -राम था । छह बार राम शब्द दशरथ

शिष्य का कर्तव्य है गुरु के पवित्र मुख से जो आज्ञाएँ निकले उनका पालन करना यही सनातन धर्म की मर्यादा

. महानगर के उस अंतिम बस स्टॉप पर जैसे ही कंडक्टर ने बस रोक दरवाज़ा खोला, नीचे खड़े एक देहाती

ये जगत, प्रेम को वासना ही समझ बैठा है।पर प्रेम उपासना है । प्रेम साधना है।प्रेम चेतना की उच्चतम अवस्था

बर्बरीक (खाटूश्याम) घटोत्कच के पुत्र और भीम के पोते थे. बर्बरीक भगवान शिव के एक बड़े भक्त थे. तपस्या और

मोह बाह्य आडम्बर है, किंतु प्रेमको आन्तरिक अनुभूति कहा जाता है । मोहका सांसारिक पदार्थोंसे घनिष्ठ सम्बन्ध होता है, जबकि

कमल किशोर सोने और हीरे के जवाहरात बनाने और बेचने का काम करता था। उसकी दुकान से बने हुए गहने

एक मूर्तिकार एक रास्ते से गुजरा और उसने संगमरमर के पत्थर की दुकान के पास एक बड़ा संगमरमर का पत्थर

अयोध्या जी में एक उच्च कोटि के संत रहते थे, इन्हें रामायण का श्रवण करने का व्यसन था। जहां भी