
स्त्री की रचना
जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे तब उन्हें काफी समय लग गया। छठा दिन था और स्त्री की

जब भगवान स्त्री की रचना कर रहे थे तब उन्हें काफी समय लग गया। छठा दिन था और स्त्री की

एक बार एक गुरुदेव अपने शिष्य को अहंकार के ऊपर एक शिक्षाप्रद कहानी सुना रहे थे एक विशाल नदी जो

*प्रख्यात संत को उनके तीन जन्मों का दृश्य उनके गुरुदेव ने दिखाया उनमें से प्रथम थे सन्त कबीर, दूसरे समर्थ

चार महीने बीत चुके थे, बल्कि 10 दिन ऊपर हो गए थे, किंतु बड़े भइया की ओर से अभी तक

….सुबह-सुबह मन की भावनाओं में कृष्णा को लाकर ख्यालों में गोता लगाएं… हजारों गायों एवं ग्वाल बालों के बीच में

“” द्वारिका जाने को तैयार सुदामा ने चावल की पोटली बांधती पत्नी से कहा।तीन मुट्ठी तन्दुल?यह भला कैसा उपहार हुआ

दफ़्तर से अपना काम ख़तम करने के बाद जब अपने घर के लिए गुप्ता जी निकलने लगे तो उस समय

1990 की_घटना.. असम से दो सहेलियाँ रेलवे में भर्ती हेतु गुजरात रवाना हुई. रास्ते में स्टेशन पर गाडी बदलकर आगे

पढने के बाद चिल्लाना अवश्य भूल जाओगे एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। अचानक उन्होंने सभी

गुरुजी ने कहा कि मां के पल्लू पर निबन्ध लिखो.. तो लिखने वाले छात्र ने क्या खूब लिखा…..“पूरा पढ़ियेगा आपके