
श्रद्धा और विश्वास
. एक बार देवर्षि नारदजी की एक ब्राह्मण से मुलाकात हुई। ब्राह्मण ने उनसे जाते हुए पूछा–’मुनिवर अब आप कहाँ

. एक बार देवर्षि नारदजी की एक ब्राह्मण से मुलाकात हुई। ब्राह्मण ने उनसे जाते हुए पूछा–’मुनिवर अब आप कहाँ

.17वीं शताब्दी का समय था। हिन्दुस्तान में मुगल शासकों का अत्याचार, लूटमार बढ़ती ही जा रही थी। हिन्दुओं को जबरन

एक 30 का लड़का अपने पिता से मिलने गया। उसके पिता की नज़र थोड़ी कमज़ोर हो चुकी थी। जब वो

वाराणसी के एक गेस्ट हाउस का एकाउंट है, जहाँ लोग मृत्यु के लिए प्रवेश लेते हैं। इसे ‘काशी लाभ मुक्ति

.एक बार दो राज्यों के बीच युद्ध की तैयारियां चल रही थीं। दोनों के शासक एक प्रसिद्ध संत के भक्त

अबुल अब्बास ईश्वर-विश्वासी त्यागी महात्मा थे; वे किसी से भीख नहीं माँगते, टोपी सीकर अपना गुजारा करते। एक

जैसे हम फटे-पुराने या सड़े-गले कपड़ों को छोड़ देते हैं और नए कपड़े धारण करते हैं, वैसे ही पुराने शरीरों

“सम्राट अशोक” की “जन्म- जयंती” हमारे देश में “नहीं मनाई जाती” ?? बहुत सोचने पर भी, “उत्तर” नहीं मिलता! आप

सं0 701 की बात है। मकरान (बलूचिस्तान) – में राजा सहसराय राज्य करते थे। ये भारतीय शूद्र थे – तथा

ताओ-कथा चीनके एक गाँवमें एक किसान रहता था। एक दिन उसका घोड़ा रस्सी तुड़ाकर भाग गया। उसके पड़ोसियोंने उसके घर