किसीके पीछे मत भागो
किसीके पीछे मत भागो एक बार सर्दियोंकी दोपहरमें स्वामी रामतीर्थ घूमने निकले। रास्तेमें उन्होंने देखा कि एक बच्चा अपनी परछाईंको
किसीके पीछे मत भागो एक बार सर्दियोंकी दोपहरमें स्वामी रामतीर्थ घूमने निकले। रास्तेमें उन्होंने देखा कि एक बच्चा अपनी परछाईंको
श्रमका संस्कार एक बार कुछ किसान हल जोतनेके लिये खेतों में गये। इतनेमें चारों ओर काली घटाएँ छा गयीं। किसानोंने
प्रियदर्शी सम्राट् अशोकके जन्म-दिनका महोत्सव था। सभी प्रान्तोंके शासक एकत्र हुए थे। सम्राट्की ओरसे घोषणा हुई—‘सर्वश्रेष्ठ शासक आज पुरस्कृत होगा।’
पहले काशीमें माण्टि नामके एक ब्राह्मण रहते थे। उनके कोई पुत्र न था । अतएव उन्होंने सौ वर्षोंतक भगवान् शङ्करकी
युद्ध समाप्त हुआ। एक-एक करके सभी राजपूत कट मरे ! परंतु किसीने दीनतायुक्त पराधीनता स्वीकार न की दूसरी ओर किलेमें
बोधकथापरक नीति-साहित्य (डॉ0 श्रीसूर्यमणिजी शास्त्री, एम0 ए0, साहित्याचार्य, पी-एच0 डी0 ) मानव जीवनमें नीतिशास्त्रका महत्त्वपूर्ण स्थान है। मानवको मानवता जन्मसे
बेलगाँव जिले (दक्षिण कर्नाटक) के मुरगोड़ स्थानके चिदम्बर दीक्षित सनातन वैदिक धर्मके बहुत बड़े उद्धारक, भक्ति-ज्ञानके प्रसारक और प्रेम, सेवा
परमेश्वर हमारे अन्दर है वृन्दावनमें एक वृद्ध महिला रहती थीं। उनका नाम था माया। वे एक छोटी-सी कुटियामें अकेले रहती
एक बौद्ध ब्रह्मचारी था। अवस्था बीस वर्षकी होगी । चतुर तो था ही, ज्ञानार्जनमें भी कुशल और तत्पर था। वह
भगवान्की भक्तिमें तल्लीन नामदेवका घरसे बिलकुल ही ध्यान जाता रहा। उनकी पत्नी राजाईको पुत्र भी हो चुका था। घर दाने-दानेके