
वह अपने प्राणपर खेल गयी
इडिथ कवल एक अंग्रेज परिचारिका थी। वह प्रथम महायुद्धके समय घायलोंकी सेवा-शुश्रूषा करनेके लिये बेलजियम गयी हुई थी। वह शत्रु-मित्र

इडिथ कवल एक अंग्रेज परिचारिका थी। वह प्रथम महायुद्धके समय घायलोंकी सेवा-शुश्रूषा करनेके लिये बेलजियम गयी हुई थी। वह शत्रु-मित्र

एक भिक्षुक अचानक राजा हो गया था। उस देशके संतानहीन नरेशने घोषणा की थी कि उनकी मृत्युके पश्चात् जो पहिला

रस्सीमें सर्पका भ्रम (स्वामी श्रीअमरानन्दजी घड़ीने अभी-अभी नौका घण्टा बजाया था। हिरेन ‘सुन्दरवनके बाघ’ फिल्म देखनेके बाद वापस अपने घर

आखिरमें मिला क्या ? विश्व भ्रमणपर निकला एक धनी व्यापारी नीदरलैण्डके एम्सटर्डम शहरमें पहुँचा। वहाँ उसने एक अत्यन्त भव्य और

सार्थक जीवन हरी घासके बीच एक सूखी घासका तिनका पड़ा था। उसे देखकर हरी घास तिनकेके निष्क्रिय, अर्थहीन जीवनपर खिलखिलाकर

विवशतामें किये गये एकादशी व्रतका माहात्म्य पूर्वकालकी बात है, नर्मदाके तटपर गालव नामसे प्रसिद्ध एक सत्यपरायण मुनि रहते थे। वे

मोहमें दुःख रामनगरके एक शाहजीने एक सफेद चूहा पाल रखा था। उसे वे बड़े प्यारसे खिलाते-पिलाते तथा देख भाल किया

कहा जाता है कि किसी नगरका एक नागरिक अतिथियों तथा अभ्यागतोंको अधिक परेशान करनेके लिये विख्यात हो गया था। कहते

राहकी बाधा बहुत पुरानी बात है। एक दिन राजा शौर्यने मुख्य मार्गके बीचोबीच एक बड़ा पत्थर रखवा दिया और स्वयं

शारीरिक बलसे उपाय श्रेष्ठ है किसी वनमें बरगदका एक विशाल वृक्ष था। उसकी घनी शाखाओंपर अनेक पक्षी रहा करते थे।