
संसारका स्वरूप
एक युवक बचपनसे एक महात्माके पास आया- | — जाया करता था। सत्संगके प्रभावसे भजनमें भी उसका चित्त लगता था।

एक युवक बचपनसे एक महात्माके पास आया- | — जाया करता था। सत्संगके प्रभावसे भजनमें भी उसका चित्त लगता था।

वृत्रासुरका वध करनेपर देवराज इन्द्रको ब्रह्महत्या लगी। इस पापके भयसे वे जाकर एक सरोवरमें छिप गये। देवताओंको जब ढूँढ़नेपर भी

प्राचीन समयकी बात हैं। कुरुवंशके देवापि और शन्तनुमें एक दूसरेके प्रति स्वार्थ त्यागकी जो अनुपम भावना थी, वह भारतीय इतिहासकी

धर्मराज युधिष्ठिरका राजसूय यज्ञ समाप्त हो गया था। वे भूमण्डलके चक्रवर्ती सम्राट् स्वीकार कर लिये गये थे । यज्ञमें पधारे

सतर्क दूरदर्शिता एक जापानी कार लाल बत्तीपर रुक गयी। कारमें बैठे विदेशी व्यक्तिने अपने जापानी ड्राइवर दोस्तसे कहा, ‘इस भरी

नावेर नामक एक अरब सज्जनके पास एक बढ़िया घोड़ा था। दाहर नामक एक मनुष्यने कई ऊँट देकर बदलेमें घोड़ा लेना

एक नास्तिककी भक्ति हरिराम नामक एक आदमी शहरकी एक छोटी-सी गली में रहता था। वह एक मेडिकल स्टोरका मालिक था।

‘गाड़ी आनेमें केवल आधा घंटा रह गया है। लकड़ीके पुलपर गाड़ी गिर पड़ेगी और अगणित प्राणियोंके प्राण चले जायँगे बेटी!’

प्रभु-प्राप्तिका मार्ग द्वितीय सिक्खगुरु अंगददेवजीका पूर्वनाम लहिणा था। तीर्थयात्रा करते समय एक बार उनकी मुलाकात आदिगुरु नानकदेवसे हुई और उनके

उसके केश और वस्त्र भीगे हुए थे। मुखपर बड़ी उदासी और मनमें अत्यन्त खिलता थी। उसके में जिज्ञासाका चित्र था