
आलसी मत बनो
(3) आलसी मत बनो एक लकड़हारा जंगलमें लकड़ी लाने रोज जाता था और उसे एक अपाहिज लँगड़ी लोमड़ी रोज दिखायी

(3) आलसी मत बनो एक लकड़हारा जंगलमें लकड़ी लाने रोज जाता था और उसे एक अपाहिज लँगड़ी लोमड़ी रोज दिखायी

श्रीगोंदवलेकर महाराजकी पहली पत्नीका देहान्त हो चुका था। दो-चार माहके बाद उनकी माँने उन्हें दूसरी शादी करनेपर मजबूर किया। मातृभक्तिके

कोसलका राजा ब्रह्मदत्त प्रायः आखेटमें ही रहता था। जब वह शिकारमें निकलता था, तब उसके पीछे पीछे उसकी बड़ी भारी

एक देशमें दो आदमी दुर्भाग्यसे गुलाम बन गये थे। एकका नाम एन्टोनिओ था और दूसरेका नाम रोजर । दोनों एक

सफलताका मूल है-ज्ञान, कर्म और भक्तिका सामंजस्य भगवान् श्रीकृष्णसे नारदजीने एक बार कौतूहलवश पूछा कि उनका अनन्य भक्त कौन है?

एक दिन बादशाह अकबरके दरबारमें बड़े जोरोंका कोलाहल सुनायी पड़ा। सभी लोग बीरबलके विरुद्ध नारे लगा रहे थे। आवाज आ

संयमका सुफल मनुष्यके विकासके लिये जिन गुणोंकी आवश्यकता है, उनमें संयमका बहुत महत्त्व है। संयमसे ही मनुष्यकी समस्त शारीरिक, मानसिक

समयके पंख एक बार एक कलाकारने अपने चित्रोंकी प्रदर्शनी लगायी। उसे देखनेके लिये नगरके सैकड़ों धनी-मानी व्यक्ति भी पहुंचे। एक

एक राजा जंगलके रास्ते कहीं जा रहा था। उसने देखा एक खेतमें एक जवान आदमी हल जोत रहा है। और

श्री ईश्वरचन्द्र विद्यासागर अपने मित्र श्रीगिरीशचन्द्र विद्यारत्नके साथ बंगालके कालना नामक गाँव जा रहे थे। मार्गमें उनकी दृष्टि एक लेटे