स्वावलम्बीका बल
प्राचीन अरबनिवासियोंमें हातिम ताईका नाम अत्यन्त प्रसिद्ध है। वह अपनी अमित दातृत्व-शक्ति किंवा सतत दानशीलताके लिये बड़ा विख्यात था। एक
प्राचीन अरबनिवासियोंमें हातिम ताईका नाम अत्यन्त प्रसिद्ध है। वह अपनी अमित दातृत्व-शक्ति किंवा सतत दानशीलताके लिये बड़ा विख्यात था। एक
एक राजाको कोढ़की बीमारी हो गयी थी। वैद्योंने बताया कि मानसरोवरसे हंस पकड़वाकर मँगाये जायँ और उनके पित्तसे दवा बने
साधारण वेषमें असाधारण मनुष्य हुगली जिलेके किसी दूर-दराजके गाँवके एक स्कूलमें विद्यासागर आनेवाले हैं। गाँवभरके स्त्री-पुरुष टूट पड़े, सभी विद्यासागरको
नित्य प्रेरणादायी श्लोक भारतके महान् वीर, न्यायप्रिय, प्रतिभावान् और असाधारण विद्वान् राजा विक्रमादित्यको कौन नहीं जानता? उनकी स्मृतिमें चलनेवाले विक्रम
वनवासके समय पाण्डव द्वैतवनमें थे वनमें घूमते समय एक दिन उन्हें प्यास लगी। धर्मराज युधिष्ठिरने वृक्षपर चढ़कर इधर-उधर देखा। एक
पास आया और अत्यन्त कातर वाणीमें उसने पूछा ‘महात्मन्! प्रभु-प्राप्तिका मार्ग क्या है ?’ भगवान्को पानेके दो रास्ते हैं-संतने बताया।
सम्राट् भरतको चक्रवर्ती बनना था। वे दिग्विजय कर चुके थे, किंतु अभी वह अधूरी थी; क्योंकि उनके छोटे भाई पोदनापुरनरेश
शूरसेन प्रदेशमें किसी समय चित्रकेतु नामक अत्यन्त प्रतापी राजा थे। उनकी रानियोंकी तो संख्या ही करना कठिन है, किंतु संतान
श्रेष्ठ पवित्रता क्या है ? एक समयकी बात है, एक संन्यासी था, जो संन्यासके हर नियम-कानूनको गम्भीरतासे मानता था। वह
हेमन्तकी संध्या थी, सूर्य अस्ताचलपर अदृश्य होनेवाले ही थे, पश्चिम गगनकी नैसर्गिक लालिमा अद्भुत और अमित मनोहारिणी थी। भगवान् बुद्ध