व्रज-रजपर निछावर
लगभग ढाई सौ वर्ष पहलेकी बात है। बादशाह मुहम्मदशाहके खास-कलम – मीर – मुंशी थे कविवर घनानन्द। वे व्रजरसके महान्
लगभग ढाई सौ वर्ष पहलेकी बात है। बादशाह मुहम्मदशाहके खास-कलम – मीर – मुंशी थे कविवर घनानन्द। वे व्रजरसके महान्
सीखनेकी धुन यह घटना सन् 1947 ई0 के आस-पासकी है। लेस्टर वण्डरमैन नामक युवक न्यूयॉर्ककी एक विज्ञापन एजेंसीमें काम कर
संस्कारोंका बालमनपर प्रभाव सत्य एवं सदाचारका पालन करनेमें सत्संगकी तरह बाल्यकालके संस्कारोंका भी बड़ा हाथ होता है। एक साधुको एकबार
भलाईके लिये झूठ अच्छा एक बादशाहने एक कैदीको मौतकी सजा सुनायी। सजा सुनते ही कैदी बादशाहको गालियाँ देने लगा। चूँकि
सन् 1916 की बात है। लखनऊ में कांग्रेसका महाधिवेशन था। गांधीजी उसमें सम्मिलित होने आये थे। वहाँ राजकुमार शुक्लद्वारा किसानोंकी
एथेनियन कवि एगोथनने अपने यहाँ एक बार एक विशाल भोजका आयोजन किया था। इस व्यक्तिको ग्रीक थियेटरमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त
एक बार एक पुण्यात्मा गृहस्थके घर एक अतिथि आये उसके शरीरपर सारे कपड़े काले थे। गृहस्थने तनिक खिन्नतासे कहा- तुमने
कन्नौजके महामहिम शासक महाराज हर्षकी कृपासे मातृगुप्तका काश्मीरके सिंहासनपर राज्याभिषेक हुआ मातृगुप्तकी उदारता, काव्यप्रियता और दानशीलतासे आकृष्ट होकर बड़े-बड़े विद्वानों,
अति साहस करना ठीक नहीं एक कछुआ यह सोचकर बड़ा दुखी था कि पक्षीगण बड़ी आसानीसे आकाशमें उड़ा करते हैं,
किसी गाँव में एक गरीब विधवा ब्राह्मणी रहती थी। तरुणी थी। सुन्दर रूप था । घरमें और कोई न था