अस्थिर दृष्टि
एक संतके यहाँ एक दासी तीस वर्षसे रहती थी, पर उन्होंने उसका मुँह कभी नहीं देखा था। एक दिन उन्होंने
एक संतके यहाँ एक दासी तीस वर्षसे रहती थी, पर उन्होंने उसका मुँह कभी नहीं देखा था। एक दिन उन्होंने
हीन कौन ? एक बार ईरानी सन्त शेख सादी मक्काकी ओर पैदल जा रहे थे। गर्मीके दिन थे और बालू
‘चारुचर्या’ की बोधवचनावली महाकवि क्षेमेन्द्रविरचित ‘चारुचर्या’ सदाचार, शिष्टाचार तथा चरित्र-निर्माणका बोध प्रदान करनेवाला एक लघु ग्रन्थ है। आयाममें लघु होनेपर
अहमदाबादके प्रसिद्ध संत महाराज सरयूदासके जीवनकी एक घटना है; उनके पूर्वाश्रमकी बात है। वे साधु-संतोंकी सेवामें बड़ा रस लेते थे।
पञ्चाल प्रदेशकी सर्वगुणसम्पन्ना विवेकशीला लोक विश्रुत सुन्दरी एक स्वयंवरा कन्या थी। वह श्रेष्ठ कुलमें उत्पन्न सत्पुरुषसे ही विवाह करना चाहती
(8) भगवत्स्मरणकी महिमा सुमिरनकी बड़ी महिमा है। हृदयसे भावविह्वल होकर भगवान्को पुकारना सुमिरन कहलाता है। यह मात्र होंठोंसे किया जप
लंदनके साउथवार्कवाली गलियोंमें गरीबोंकी बस्ती थी। उसमें मजदूरों और श्रमिकोंके लिये छोटे-छोटे मकान बने हुए थे। दिनभर कारखानोंमें मजदूरी कर
मायाका मुखौटा (स्वामी श्री अमरानन्दजी ) रामपुर नामक गाँव नगरसे कुछ मीलकी दूरीपर स्थित था। दिसम्बरका उत्तरार्ध चल रहा था।
सबसे सुन्दर चित्र बहुत पुरानी बात है। एक चित्रकार दुनियाका सबसे सुन्दर चित्र बनाना चाहता था। वह अपने गुरुके पास
एक वैश्य था, जिसका नाम था नन्दभद्र। उसको धर्मनिष्ठा देखकर लोग उसे साक्षात् ‘धर्मावतार’ कहा करते थे। वास्तवमें वह था