प्रभुकी वस्तु
एक भक्तके एक ही पुत्र था और वह बड़ा ही सुन्दर, सुशील, धर्मात्मा तथा उसे अत्यन्त प्रिय था । एक
एक भक्तके एक ही पुत्र था और वह बड़ा ही सुन्दर, सुशील, धर्मात्मा तथा उसे अत्यन्त प्रिय था । एक
एक बार श्रीसूरदासजी बादशाह अकबरके दरबारमें विराज रहे थे। उनसे पूछा गया कि ‘कविता सर्वोत्तम किसकी है, निष्पक्ष भावसे बतलाइये।’
मेहनतसे बदली किस्मत बटोरनके पिता अव्वल दर्जेके आलसी थे। इसलिये उनकी माली हालत खराब थी। बटोरनका असली नाम बटोही था,
चार्ली, तूने यह क्या किया ? भारतकी सेवामें अपनेको खपा देनेवाले-‘दीनबन्धु’ एण्ड्रजका प्यारका नाम था ‘चार्ली’। गाँधीजी उन्हें इसी नामसे
एक दिन संत इब्राहिमने रास्तेमें एक मूच्छित शराबीको देखा। उसका शरीर धूलमें सन गया था, मुँहमें धूल लिपटी हुई थी
अहमदाबादके प्रसिद्ध संत सरयूदासजी महाराज एक बार रेलगाड़ीकी तीसरी श्रेणीमें बैठकर डाकोर जा रहे थे। गाड़ीमें बड़ी भीड़ थी। कहीं
अंगुलिमालके नामके श्रवणमात्रसे ही समस्त कोशल राज्य त्रस्त और संतप्त हो उठता था । गुरुके दक्षिणा स्वरूप मैत्रायणीपुत्र वनमें रहता
किसी शहरमें एक बड़ा धर्मात्मा राजा राज्य करता था। उसके दानधर्मका प्रवाह कभी बंद नहीं होता था। एक दिन उसके
सरदार पटेलकी कर्तव्यनिष्ठा सरदार पटेल अदालतमें एक फौजदारी मुकदमेकी पैरवी कर रहे थे। मामला गम्भीर था, उनकी जरा सी असावधानी
मिथ्या आलोचनाओंकी चिन्ता मत करो अमेरिकन राष्ट्रपति लिंकनके विरोधी अखबार जीखोलकर उनकी बुराई करते थे, किंतु लिंकन अविचलित भावसे अपने