
अपनेको पहचानना सहज नहीं
“क्यों री ! आज सागमें नमक डालना भूल | गयी?’- पैठनके परम कर्मठ षट्शास्त्री बहिरंभट्टने अपनी पत्नीसे पूछा । पत्नीने

“क्यों री ! आज सागमें नमक डालना भूल | गयी?’- पैठनके परम कर्मठ षट्शास्त्री बहिरंभट्टने अपनी पत्नीसे पूछा । पत्नीने

जर्मनीकी सेनाके कोई उच्चाधिकारी किसी युद्धके समय अपने शिविरसे कुछ सैनिकोंके साथ घोड़ोंके लिये घास एकत्र करने निकले। समीपमें एक

दान और भोग राजा भोज जंगलके रास्तेसे जा रहे थे साथमें था राजकवि पण्डित धनपाल। भोजने जंगलमें एक बड़े वृक्षकी

एक बार एक बुद्धिमान् ब्राह्मण एक निर्जन वनमें घूम रहा था। उसी समय एक राक्षसने उसे खानेकी इच्छासे पकड़ लिया।

एक संतके यहाँ एक दासी तीस वर्षसे रहती थी, पर उन्होंने उसका मुँह कभी नहीं देखा था। एक दिन उन्होंने

हीन कौन ? एक बार ईरानी सन्त शेख सादी मक्काकी ओर पैदल जा रहे थे। गर्मीके दिन थे और बालू

‘चारुचर्या’ की बोधवचनावली महाकवि क्षेमेन्द्रविरचित ‘चारुचर्या’ सदाचार, शिष्टाचार तथा चरित्र-निर्माणका बोध प्रदान करनेवाला एक लघु ग्रन्थ है। आयाममें लघु होनेपर

अहमदाबादके प्रसिद्ध संत महाराज सरयूदासके जीवनकी एक घटना है; उनके पूर्वाश्रमकी बात है। वे साधु-संतोंकी सेवामें बड़ा रस लेते थे।

पञ्चाल प्रदेशकी सर्वगुणसम्पन्ना विवेकशीला लोक विश्रुत सुन्दरी एक स्वयंवरा कन्या थी। वह श्रेष्ठ कुलमें उत्पन्न सत्पुरुषसे ही विवाह करना चाहती

(8) भगवत्स्मरणकी महिमा सुमिरनकी बड़ी महिमा है। हृदयसे भावविह्वल होकर भगवान्को पुकारना सुमिरन कहलाता है। यह मात्र होंठोंसे किया जप