
यह वत्सलता !
लंदनके साउथवार्कवाली गलियोंमें गरीबोंकी बस्ती थी। उसमें मजदूरों और श्रमिकोंके लिये छोटे-छोटे मकान बने हुए थे। दिनभर कारखानोंमें मजदूरी कर

लंदनके साउथवार्कवाली गलियोंमें गरीबोंकी बस्ती थी। उसमें मजदूरों और श्रमिकोंके लिये छोटे-छोटे मकान बने हुए थे। दिनभर कारखानोंमें मजदूरी कर

मायाका मुखौटा (स्वामी श्री अमरानन्दजी ) रामपुर नामक गाँव नगरसे कुछ मीलकी दूरीपर स्थित था। दिसम्बरका उत्तरार्ध चल रहा था।

सबसे सुन्दर चित्र बहुत पुरानी बात है। एक चित्रकार दुनियाका सबसे सुन्दर चित्र बनाना चाहता था। वह अपने गुरुके पास

एक वैश्य था, जिसका नाम था नन्दभद्र। उसको धर्मनिष्ठा देखकर लोग उसे साक्षात् ‘धर्मावतार’ कहा करते थे। वास्तवमें वह था

महाराज छत्रसाल स्वयं नगरमें घूमते थे और प्रजाजनोंसे उनका कष्ट पूछते थे। ‘जिस राजाके राज्यमें प्रजाके लोग दुःख पाते हैं,

एक राजा एक बार यज्ञ करने जा रहे थे। यज्ञमें बलि देनेके लिये एक बकरा उन्होंने मँगवाया। बकरा पकड़कर लाया

पराधीनतामें सुख कहाँ? एक मोटे-ताजे पालतू कुत्तेके साथ एक भूखे दुबले-पतले बाघकी भेंट हुई। प्रथम परिचय हो जानेके -‘भाई, एक

प्राचीन समयकी बात है। एक धनी व्यक्तिने एक हब्शीको नौकर रखा। उसने अपने जीवनमें हब्शी कभी पहले नहीं देखा था।

परमात्माकी मृत्यु इंग्लैण्ड में एक धर्मपरायण अंग्रेज दम्पती रहते थे। किसी व्यवसायमें घाटा पड़ जानेसे पति महोदय बड़े चिन्तित रहने

एक सेठजीने अन्नसत्र खोल रखा था। दानकी भावना तो कम थी, मुख्य भावना तो थी कि समाज उन्हें दानवीर समझे,