गरीबोंकी उपेक्षा पूरे समाजके लिये घातक है।
स्काटलैंडके एक नगर में विपत्तिको मारी एक दरिद्र स्त्री आयी। उसके पास न रहनेको स्थान था और न भोजनको अन्न।
स्काटलैंडके एक नगर में विपत्तिको मारी एक दरिद्र स्त्री आयी। उसके पास न रहनेको स्थान था और न भोजनको अन्न।
लाला बलदेवसिंहजी देहरादूनके रईस थे। वे प्राणिमात्रमें भगवान्की ज्योतिका निरन्तर अनुभव करते थे। प्रेम-तत्त्वका उच्चकोटिका अनुभव उन्हें प्राप्त था। प्राणिमात्रसे
साधनाकी तन्मयता महान् चित्रकार ‘आगस्टी केन्वायर’ जितने अधिक वृद्ध होते गये, उतना ही उनका कला-प्रेम बढ़ता गया। युवावस्थामें वे एक
बाबरका पिता उमरशेख समरकंदका राजा था। वह अपनी न्यायप्रियताके लिये बड़ा प्रसिद्ध था। एक बार चीनी यात्रियोंका एक समुदाय पूर्वसे
‘सबहि नचावत रामु गोसाईं ‘ कठपुतलियोंको नृत्य-अभिनय करते-करते काफी समय हो गया। एक दिन कुछ कठपुतलियोंको अपने नृत्य कौशलपर अभिमान
नदीने सिखाया राजा कुमारसेन क्रूर और अभिमानी था। उसका मन्त्री सुमन्तसेन चतुर, व्यावहारिक और हाजिरजवाब था। एक दिन राजा कुमारसेनने
छः-सात वर्षकी बात है। दिल्लीमें एक टाँगेपर बैठा जा रहा था। टाँगा चलानेवाला अपने कार्यमें विशेष दक्ष प्रतीत नहीं होता
गर्ग गोत्र में उत्पन्न बलाकाके पुत्र बालाकि नामके एक प्रसिद्ध ब्राह्मण थे। उन्होंने सम्पूर्ण वेदोंका अध्ययन तो किया ही था,
रास्ता यह है एक आदमी बहुत परेशान था। बीमारियोंने उसके शरीरको घेर रखा था, पर वह उनका इलाज कैसे कराता;
महर्षि दुर्वासा अपने क्रोधके लिये तीनों लोकमें विख्यात हैं। एक बार वे चीर धारण किये, जटा बढ़ाये, बिल्वदण्ड लिये तीनों