
घर-घर दीप जले
घर-घर दीप जले (श्रीमती ऊषाजी अग्रवाल ) एक आदमी भीख माँग रहा था। वह कम-से कम सौ घरोंके आगे चक्कर

घर-घर दीप जले (श्रीमती ऊषाजी अग्रवाल ) एक आदमी भीख माँग रहा था। वह कम-से कम सौ घरोंके आगे चक्कर

ईश्वर और जीवका भेद एक महात्माने एक जिज्ञासुसे कहा कि हमको प्यास लगी है, यह तूंबा ले जा और यहाँसे

सत्यकी जय होती है ‘यह तरबूज कैसा है लड़के? -एक ग्राहकने पूछा। ‘यह तरबूज भीतरसे सड़ा है, श्रीमान् !’ ग्राहक

दक्षिणके पैठण नगरमें गोदावरी-स्नानके मार्गमें ही एक सराय पड़ती थी। उस सरायमें एक पठान रहता था। मार्गसे स्नान करके लौटते

डॉक्टर हो तो ऐसा सन् 1938 ई0 की बात है, चीन और जापानमें लड़ाई चल रही थी। चीनकी पीली नदीके

4- ‘दशमस्त्वमसि’ [ दसवें तुम्हीं हो! ] दस जवान किसी समय दूसरे गाँव जा रहे थे। रास्तेमें एक बड़ी नदी

शब्दों में शक्ति-संचार डॉक्टर हेडगेवारजीके शब्द बड़े सरल होते थे, किंतु ऐसी महान् आत्माओंद्वारा उच्चरित शब्दोंमें अप्रतिकार्य शक्तिका संचार हो

एक बार देवर्षि नारदजी महीसागर संगममें स्नान करने पधारे। उसी समय वहाँ बहुत से ऋषि-मुनि भी आ पहुँचे। नारदजीने उनसे

‘प्रभो! मेरे दुःखी पुत्रपर सुख-शान्तिकी वर्षा करना। संत उसपर प्रसन्न रहें तथा उसका जीवन पवित्र तथा प्रभु प्रेममय रहे ।

ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा एक भारतीय परिवारके लोग जापानकी राजधानी टोक्योके एक होटलमें ठहरे। जब वे बाजार गये तो उन्हें वहाँ