
नित्य- दम्पति
[ श्रीराधा-कृष्ण-परिणय ] नित्य आनन्दघन, नित्यनिकुञ्जविहारी श्रीनन्दनन्दन धरापर आविर्भूत हुए और उनके साथ ही पधारीं व्रजधरापर उनकी महाभावरूपा आनन्दशक्ति श्रीराधा
[ श्रीराधा-कृष्ण-परिणय ] नित्य आनन्दघन, नित्यनिकुञ्जविहारी श्रीनन्दनन्दन धरापर आविर्भूत हुए और उनके साथ ही पधारीं व्रजधरापर उनकी महाभावरूपा आनन्दशक्ति श्रीराधा
बादशाह अलाउद्दीनके दरबार में एक मंगोल सरदार था। बादशाह उसकी शूरता तथा ईमानदारीसे बहुत संतुष्ट थे; किंतु निरंकुश लोगोंकी समीपता
ईरानके न्यायनिष्ठ बादशाह नौशेरवाँ एक बार कहीं शिकारमें निकले थे। भोजन बनने लगा तो पता लगा कि नमक नहीं है।
संत त्यागराजके जीवनकी एक घटना है। उनकी राम-भक्ति और दिव्य संगीत-माधुरीसे जिस समय समस्त दक्षिण भारत भागवतरसमें निमग्न हो रहा
भक्त भानुदास सदैव हरिभजनमें रमे रहते। जबतक माता-पिता जीवित रहे, भानुदासकी पत्नी तथा बाल बच्चोंका पालन-पोषण करते रहे; पर उनके
इटलीके क्रेसिन नामक किसानने अपने उद्योगके बदौलत इतनी अच्छी पैदावार की कि लोगोंको अत्यन्त आश्चर्य होने लगा। उन्होंने सोचा- निश्चय
एक भक्त ब्राह्मणदम्पति थे। उनके मनमें सदा यह इच्छा बनी रहती थी कि ‘हम कहाँ जायँ जिससे हमें भगवान्के दर्शन
पण्डित श्रीरामजी महाराज संस्कृतके महान् धुरन्धर विद्वान् थे संस्कृत आपकी मातृभाषा थी। आपका सारा परिवार संस्कृतमें ही बातचीत करता था
अनीति श्रुतायुधके पास शंकरजीके वरदानसे प्राप्त एक अमोघ गदा थी। उसके तपसे प्रसन्न होकर भगवान्ने यह उपहार उसे इस शर्तपर
नाममें क्या रखा है एक जातक कथा है। किसी दम्पतीने अपने पुत्रका नाम ‘पापक’ रख दिया था। बच्चा बड़ा हुआ