सबमें आत्मभाव
हुगलीके सरकारी वकील स्वर्गीय शशिभूषण वन्द्योपाध्याय एक दिन वैशाखके महीनेमें दोपहरकी कड़कती लूमें एक किरायेकी गाड़ीमें बैठकर एक प्रतिष्ठित व्यक्तिके
हुगलीके सरकारी वकील स्वर्गीय शशिभूषण वन्द्योपाध्याय एक दिन वैशाखके महीनेमें दोपहरकी कड़कती लूमें एक किरायेकी गाड़ीमें बैठकर एक प्रतिष्ठित व्यक्तिके
श्रीठाकुरसाहब लदाणा (जयपुर) – के पास एक मुसलमान सज्जन आये, उनके गलेमें तुलसीकी कंठी बँधी हुई थी। ठाकुरसाहबने पूछा कि
फिर भी दोनों ढेरियाँ बराबर दो भाई थे, नरेन्द्र और सुरेन्द्र। दोनों खेतीका काम करते थे। नरेन्द्र कुवारा था और
संत फ्रांसिसके जीवनकी बात है। इटलीके अस्सीसाई नगरमें अपनी युवावस्थाके दिन उन्होंने राग-रंग और आमोद-प्रमोदमें बिताये। धनियोंके लड़कोंके साथ वे
रूस और जापानका युद्ध चल रहा था। पिछले महासमरकी बात नहीं कही जा रही है। रूस था जारका सम्राज्यवादी रूस
श्री अवध में सरयूके किनारे एक महात्मा थे। वे एक ऊँचे मचानपर रहते थे। वे किसीसे बोलते नहीं थे। जब
एक बड़ा सुन्दर मकान है। उसके नीचे अनाजकी दूकान है। दूकानके सामने अनाजकी ढेरी लगी है। एक बकरा आया। उसने
काशी में वेदान्तके प्रकाण्ड पण्डित, सगुण उपासनाके विरोधी स्वामी प्रकाशानन्द सरस्वती रहते थे श्रीचैतन्यदेव जब पुरीमें प्रेमभक्तिका प्रवाह बहा रहे
कहा जाता है कि भगवान् विश्वनाथकी पुरी काशीकी बात है। गङ्गास्नान करके एक संन्यासी घाटसे ऊपर जा रहे थे। भीड़
एक वैष्णव वृन्दावन जा रहा था। रास्तेमें एक जगह संध्या हो गयी। उसने गाँवमें ठहरना चाहा, पर वह सिवा वैष्णवके