
असली यज्ञ
असली यज्ञ काशीसे पाँच मील दूर गंगाके तटपर स्थित एक कुटिया में ‘मोकलपुरके बाबा’ इस नामसे प्रसिद्ध परम विद्वान् संत
असली यज्ञ काशीसे पाँच मील दूर गंगाके तटपर स्थित एक कुटिया में ‘मोकलपुरके बाबा’ इस नामसे प्रसिद्ध परम विद्वान् संत
कोई महात्मा बैठे थे। उनके पास एक कुत्ता आकर बैठ गया। तब किसी असभ्य मनुष्यने महात्मासे पूछा ‘तुम दोनोंमें श्रेष्ठ
बंगालमें किसी गाँवमें एक सोलह वर्षकी युवती रहती थी। जिस साल उसका विवाह हुआ उसी साल उसके पतिका देहान्त हो
कामदेवमें कितना बल एक गाँवमें एक पण्डितजी कथा बाँचा करते थे। कथा समाप्त होनेपर वे कहा करते- ‘कामदेवमें दस हजार
स्काटलैंडके एक सरदार सर राबर्ट इसपर एक समय बड़ा संकट आ गया और वह बड़ी विपत्तिमें पड़ गया। अन्य लोगोंकी
राजा विश्वामित्र सेनाके साथ आखेटके लिये निकले थे। वनमें घूमते हुए वे महर्षि वसिष्ठके आश्रमके समीप पहुँच गये। महर्षिने उनका
एकमेलके युद्धके बाद नेपोलियन आस्ट्रियाकी राजधानी वियना नगरके पास पहुँचे। उन्होंने संधिका झंडा लेकर एक दूत नगरमें भेजा; किंतु नगरके
ऐसा प्रायः देखा जाता है और संतोंके जीवन वृत्तान्तसे पता चलता है कि बड़े-बड़े संत विज्ञापन, प्रचार और प्रसिद्धिसे दूर
शक्तियोंको खोलनेका मार्ग मनुष्यका यह स्वभाव है कि दूसरे आदमी उसे जैसा पुनः पुनः कहते हैं, धीरे-धीरे वह स्वयं भी
श्रीईश्वरचन्द्र विद्यासागर उस समय खर्मा टाँड़में रहते थे। आवश्यकतावश उन्हें ढूँढ़ता एक व्यक्ति पहुँचा। उससे ज्ञात हुआ कि वह कई