
मां के चरणों में शत प्रणाम
मांइस सृष्टि की सर्वोपरि तूजग सारा तुझसे चलता हैकर्तव्य बोध तू प्रथम गुरुतुझसे ही ज्ञान निकलता हैमां है तो यह
मांइस सृष्टि की सर्वोपरि तूजग सारा तुझसे चलता हैकर्तव्य बोध तू प्रथम गुरुतुझसे ही ज्ञान निकलता हैमां है तो यह
तुम्हारी गोद में जिस पल आई मैं पहली बार ,मेरा चेहरा निहारते,पूरी रात ममता से भीगी पलकें,तुमने झपकाई तक न
माथा चूमकर जो आपके मुकद्दर को बदल दे उसे मां कहते हैं।मां वो शब्द है, जिसके सामने ईश्वर भी नतमस्तक
मां विश्वास का गहरा समुंदर, जिसकी गहराई कोई ना जान पाया। मां ममता सनेह का आकाश, जिसे इंसान आज तक
न रब से मिलने की आस करूं,न जन्नत की चाह रखूं ,ख्वाइश बस इतनी है मेरी,हरदम मुझे मां का आंचल
माँ के लिए कुछ लिख सकेंऐसा शब्द वेद व्यास भीन तलाश पाये।माँ के लिए कुछ कह पाएंऐसा शब्द सरस्वती भीन
कहानी लम्बी है ,अंत तक पढ़ेंगे तो रचना के मनोभावों को महसूस अवश्य करें इस बार मायके आई हुई ईरा
||नारायण नारायण||मित्रों, सुप्रभातम् शनिवार, 6 मई, 2023विक्रमी संवत 2080, शक संवत 1945ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्षनक्षत्र: विशाखा प्रथमा तिथीदेवर्षि नारद ज०
बुद्ध कौन ? बुद्ध एक आध्यात्मिक सांकेतिक ज्ञान की प्रौढ़ अवस्था का नाम है, कोई व्यक्ति विशेष का नाम नहीं,
**कूर्म मंत्र ।ॐ कूर्माय नम:ॐ हां ग्रीं कूर्मासने बाधाम नाशय नाशयॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाय नम: कूर्म जयंती का महत्व-***कूर्म